बसना : किसानों की निजी जमीन पर बिना मुआवजा बन रही सड़क, विरोध के बाद थमा निर्माण कार्य
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार भले ही किसान हितैषी होने के दावे करती हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इन दावों की सच्चाई बयां कर रही है। महासमुंद जिले के अंतिम छोर पर ओडिशा सीमा से लगे जटाकन्हार–पदमपुर मार्ग पर लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर अब गंभीर सवाल उठने लगे है।करीब 2.450 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण 273.41 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह सड़क दोनों राज्यों के सीमावर्ती गांवों को जोड़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। लेकिन किसानों के विरोध के चलते निर्माण अधूरा रह गया है और अब विवादों में घिर चुका है। किसानों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभाग और ठेकेदार ने उनकी निजी जमीन पर बिना अधिग्रहण और मुआवजा दिए सड़क का निर्माण कर रही है। इसी कारण एक किसान ने अपनी निजी भूमि पर निर्माण कार्य रोक दिया, जिससे सड़क का लगभग 300 मीटर बीच का हिस्सा अधूरा रह गया और पुलिया निर्माण भी शुरू नहीं हो सका।
किसानों का आरोप बिना अधिग्रहण निजी भूमि पर बन रही सड़क
ग्राम पलसापाली के किसान धोबादास, रामनाथ, शोभाराम, श्याम कुमार, नेहरूलाल, द्वारका सिदार, प्रेमलाल सिदार और झंडी सिदार ने पीडब्ल्यूडी विभाग और ठेकेदार पीयूष कंस्ट्रक्शन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि विभाग और ठेकेदार ने उनकी निजी भूमि पर बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया, भूमि अधिग्रहण या मुआवजा दिए बैगर सड़क का निर्माण कर दिया। यही नही निर्माण के दौरान खेतों में लगे सागौन, साजा, नीम, खैर और महुआ जैसे पेड़ों की कटाई भी कर दी गई और कटे हुए पेड़ों को ठेकेदार ने अपने कब्जे में ले लिया।
इससे किसानों को दोहरी हानि हुई। एक ओर जमीन गई और दूसरी ओर लकड़ी का नुकसान हुआ। वही किसान श्याम कुमार और उनके परिजनों ने कहना है कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा वे अपनी भूमि पर निर्माण कार्य नहीं होने देंगे। उनका कहना है कि पीडब्ल्यूडी विभाग किसानों की अनदेखी कर मनमानी कर रहा है बिना सहमति के उनके भूमि पर बुलडोजर चला रही है जो न केवल अन्याय है बल्कि कानूनन अपराध है। किसानों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि दोषी ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में किसानों की जमीन बिना अनुमति या मुआवजा के न छीनी जाए और विकास योजनाओं के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन न हो। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या इन किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा मिलेगा या यह अधूरी सड़क आने वाले दिनों में सरकारी लापरवाही और अन्याय की मिसाल बनकर रह जाएगी।फिलहाल जटाकन्हार–पदमपुर मार्ग का यह निर्माण कार्य विकास से ज्यादा विवाद का विषय बन गया है।
अधूरा निर्माण और पुलिया की कमी से बाधित आवागमन
सड़क का लगभग 300 मीटर हिस्सा अधूरा रह गया है और पुलिया निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है जिससे ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो रहा है। बरसात के दिनों में यह मार्ग जलमग्न हो जाता है जिसके कारण स्कूल जाने वाले बच्चों, मरीजों और आम ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मार्ग बसना और पदमपुर को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है, लेकिन अधूरे निर्माण और भूमि विवाद के कारण यह सड़क विकास की जगह विवाद का प्रतीक बन गई है।
"इस मामले में पीडब्ल्यूडी के उप अभियंता एसके निषाद को पूछे जाने पर बताया कि पूर्व में यह मार्ग कच्चा था। जिस पर ग्रामीणों का आवागमन होता था। पंचायत और ग्रामीणों की लंबे समय से मांग पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने सड़क निर्माण का प्राक्कलन तैयार किया। मार्ग में एक किसान की लगभग 285 मीटर निजी भूमि आती है। प्रारंभ में किसान ने भूमि देने की सहमति दी थी, लेकिन अब वह मुआवजा मांगते हुए निर्माण कार्य रुकवा रहा है। एसडीएम, तहसीलदार और ग्रामीणों द्वारा बैठक कर समझाइश देने के बावजूद किसान तैयार नहीं हो रहा है। मुआवजा को लेकर अड़ा हुआ है जबकि नाबार्ड योजना में मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है इसलिए अनुमति मिलने तक उस हिस्से में निर्माण कार्य संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य किसानों के लगाए गए आरोप निराधार हैं, यदि ऐसा होता तो काम पहले ही किसानों द्वारा रुकवा दिया जाता।"