
डॉक्टरों को समय पर वेतन अदायगी सुनिश्चित करे केंद्र, पृथकवास की अवधि अवकाश नहीं माने : न्यायालय
केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कोविड-19 संकट से
निपटने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को समय पर वेतन के भुगतान संबंधी
निर्देशों का महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक और त्रिपुरा ने अब तक पालन नहीं
किया है। इस पर न्यायालय ने कहा कि वह (केंद्र) निर्देशों के क्रियान्वयन
में इतना ‘‘बेबस’’ नहीं हो सकता।
न्यायालय ने केंद्र को निर्देश
दिया कि वह कोविड-19 संबंधी ड्यूटी में तैनात अग्रिम पंक्ति के कर्मियों
एवं चिकित्सकों के वेतन समय पर जारी करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दे।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति
एम.आर. शाह की पीठ ने स्वास्थ्य कर्मियों के अनिवार्य पृथक-वास की अवधि को
अवकाश मानने तथा उस अवधि का वेतन काटने के बारे में भी केंद्र से
स्पष्टीकरण मांगा।
केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से
पीठ ने कहा, ‘‘यदि राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों और आदेशों का पालन नहीं
कर रहे हैं तो आप भी बेबस नहीं हैं। आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके
आदेश का क्रियान्वयन हो। आपदा प्रबंधन कानून के तहत आपके पास शक्ति है। आप
कदम उठा सकते हैं।’’
मेहता ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन के भुगतान के संबंध
में शीर्ष अदालत के 17 जून के निर्देशों के बाद 18 जून को सभी राज्यों को
आवश्यक आदेश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने इन निर्देशों का
पालन किया लेकिन महाराष्ट्र, पंजाब, त्रिपुरा और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों
ने चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को समय पर वेतन नहीं दिया।
पीठ
निजी रूप से काम करने वाली चिकित्सक डॉ. आरूषि जैन की याचिका पर सुनवाई कर
रही थी जिसमें केंद्र के 15 मई के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें कहा
गया है कि चिकित्सकों के लिए 14 दिन का पृथक-वास अनिवार्य नहीं है।
शीर्ष अदालत ने यूनाइटेड रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के आवेदन पर भी गौर
किया जिसमें कहा गया है कि अनिवार्य पृथक-वास अवधि को अवकाश मानते हुए
चिकित्सकों का वेतन काटा जा रहा है।
इस पर मेहता ने कहा कि उस अवधि
को अवकाश नहीं माना जा सकता और इस मुद्दे पर वह आवश्यक निर्देश लेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन की समय
अदायगी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार कदम उठाएगी।
न्यायालय ने मामले पर अब 10 अगस्त को आगे सुनवाई करेगा।