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महासमुदं : खाद्य सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने जिले के विभिन्न उपार्जन केन्द्रों का किया औचक निरीक्षण, किसानों के धान उपार्जन के लिए अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा-निर्देश

खाद्य सचिव डाॅ. कमलप्रीत सिंह ने 1 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान खरीदी की प्रक्रिया के लिए सभी जरूरी व्यवस्था 30 नवंबर तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी खरीदी केंद्रों में गुणवत्तापूर्ण वारदानों की समुचित व्यवस्था करने की बात कही हैं। ताकि धान संग्रहण के समय बारदानों की वजह से किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा कि सभी धान खरीदी केंद्रों में शेष बचा चबूतरे का निर्माण खरीदी शुरू होने से पहले पूरा कर लिया जाए।

सचिव डाॅ. कमलप्रीत आज मंगलवार जिले के उपार्जन केन्द्रों मंे किसानों के धान उपार्जन के लिए किए जा रहे तैयारियों का जायजा लेने के लिए महासमुंद विकासखण्ड के धान उपार्जन केन्द्र झालखम्हरिया, बावनकेरा, चैकबेड़ा एवं बड़गाॅव तथा बागबाहरा विकासखण्ड के कृषि उपज मंडी बागबाहरा एवं धान उपार्जन केन्द्र घुचापाली पहुँचे थे।

उन्होंने ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झालखम्हरिया में उपलब्ध पुराने एवं नए बारदानें की गुणवत्ता जाॅच भी की। उनके साथ महासमुंद कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल, अपर कलेक्टर श्री जोगेन्द्र नायक, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महासमुंद श्री सुनील कुमार चन्द्रवंशी, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बागबाहरा श्री भागवत जायसवाल, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के नोडल अधिकारी श्री डी.एल. नायक, खाद्य अधिकारी श्री अजय यादव, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं श्री गौरीशंकर शर्मा, जिला विपणन अधिकारी श्री के.पी. कर्स सहित संबंधित विभाग के अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

सचिव डाॅ. कमलप्रीत ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार किसानों का धान खरीदने के लिए तमाम व्यवस्था बनाई हुई है। किसानों का धान 2500 रुपये क्विन्टल में खरीदी कर उनका माली हालत सुधारने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि धान खरीदी में समिति प्रबन्धकों की प्रमुख भूमिका होती है। उन्होंने सहकारिता विभाग के उप पंजीयक को इन पर पैनी निगाह रखने को कहा है। कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल ने धान खरीदी के लिए की गई अब तक की तैयारियों की जानकारी दी। कलेक्टर ने कहा कि खरीफ सीजन 2020-21 में जिले के एक लाख 40 हजार किसानों ने धान विक्रय हेतु सहकारी समितियों में पंजीयन कराया हैं। जिनका कुल रकबा 02 लाख 11 हजार हेक्टेयर से अधिक हैं। उन्होंने बताया कि खरीदी कार्य की पर्यवेक्षण एवं मॉनिटरिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। खरीदी केंद्रों की साफ-सफाई का काम भी अंतिम दौर में है।


खाद्य सचिव डाॅ. कमलप्रीत सिंह ने धान उपार्जन केन्द्रों में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए धान खरीदी की व्यवस्था को लेकर कहा कि समितियों द्वारा पंजीकृत कृषकों से समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन किया जाए। इसके अलावा यह भी ध्यान रखा जाए कि महासमंुद जिले के कई उपार्जन केन्द्र ओड़िशा प्रांत से लगे होने के कारणा कोचियों के माध्यम से यहां अवैध धान लाने की सम्भावना बनी रहती है। इसलिए सीमा में कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। इसके लिए धान खरीदी से पहले नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। 

धान खरीदी प्रारंभ होने से पहले सभी केन्द्रों में बारदाने की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। पिछले वर्ष जिन धान खरीदी केंद्रों में गड़बड़ियां की शिकायत पायी गयी हो, वहां कड़ी निगरानी रखी जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष फसल के अनुरूप मौसम होने से अधिक धान खरीदी की संभावना है। धान पंजीयन में किसानों की संख्या बढ़ी है जिससे खेती का रकबा भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि गिरदावरी में धान के रकबे पंजीयन हुआ है उसी के अनुरूप वास्तविक किसानों का बोया धान की खरीदी होनी चाहिए तथा किसी भी स्थिति में किसानों द्वारा लाए गए पुराने धान का उपार्जन केन्द्र में किसी भी स्थिति में खरीदीं ना की जाएं।

सचिव ने धान उपार्जन केन्द्र में आवश्यक व्यवस्था जैसे मुख्य सड़क से खरीदी केन्द्र तक सड़क की स्थिति, भूमि की उपलब्धता, समतलीकरण एवं पानी निकासी की व्यवस्था, केन्द्रों में पक्के चबूतरों के निर्माण की स्थिति, केन्द्र में भवन, बिजली, पानी की व्यवस्था, किसान पंजीयन, कम्प्यूटर, प्रिंटर, यू.पी.एस., जनरेटर, इंटरनेट आदि की व्यवस्था, केन्द्र में उपलब्ध कांटा-बांट और हमालों की व्यवस्था, आर्द्रता मापी यंत्र, बारदानों की उपलब्धता, बारिश से धान की बचाव के लिए तिरपाल, ड्रेनेज एवं किसानों को धान बिक्री के लिए एक सप्ताह पूर्व टोकन जारी करने की जानकारी लेते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।




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