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आपसी वर्चस्व की लड़ाई में जनहित भूल बैठी शहर सरकार….पूनम सोलंकी

महापौर द्वारा विभागीय मंत्री को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया में वायरल हों रहा है इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस को शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए l पत्र के अनुसार विधायक महापौर पर दबाव बनाना क्यो चाहते है ? कांग्रेस की गुटीय लड़ाई सड़क पर आ गई है l कांग्रेस में इस वर्चस्व की लड़ाई से विकास कार्य ठप्प पड़ गए है l शहर सरकार में शामिल कांग्रेस नेताओ का एक धड़ा कमिश्नर के व्यावहार को लेकर आपत्ति जता रहा वही महापौर अपने पत्र में कमिश्नर के कार्यो को लेकर कसीदे गड रही है l

शहर सरकार में शामिल कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान को शर्मनाक बताते हुए कहा नेता प्रतिपक्ष पुनम सोलंकी ने कहा कि गुटीय लड़ाई में जनहितों को भूल बैठी है l सोशल मीडिया में वायरल हो रहे पत्र की छाया प्रति उपलब्ध कराते हुए बताया गया कि पत्र में महापौर द्वारा इस बात का उल्लेख किया गया है कि उनकी शक्तियों को कमजोर किया जा रहा है l नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस से सवाल पूछा है कि आखिर वे लोग कौन है जो उंन्हे कमजोर करने में तुले है l शक्तिहीन महापौर से निगम का काम काज प्रभावित हो सकता हैl
नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस को चेताया कि नगर निगम को आपसी लड़ाई का अखाड़ा बनाया जाना स्वीकार्य नही हो सकता l बजट के दौरान बतौर विपक्ष भाजपा ने यह जानकारी उपलब्ध कराई थी कि भाजपा पार्षदों के वार्डो विकास कार्य ठप्प पड़े हुए है l

पत्र में इस बात का उल्लेख है कि निगमकर्मियों से व्यक्तिगत कार्य कराए जा रहे है l पत्र में एमआईसी की बैठक में विधायक के बैठाने के दबाव को भी नेता प्रतिपक्ष ने निगम क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप बताया l नगर विधायक को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि आखिर ऐसा दबाव क्यो बनानां चाहते है ? गोठान का ठेका अपने लोगो के देने के लिए दबाव बनाया जाने को नेता प्रतिपक्ष ने निगम की संवैधानिक प्रणाली का मजाक बताया l महापौर को आम जनता के मध्य यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि वे लोग कौन है जो कमिश्नर ओर उनके बीच गलतफहमियां पैदा करना चाहते है l

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे नगर निगम परिसर को पोलिटिकल ड्रामेबाजी की जगह नही बनने देगी l जनता ने सत्ता की कुर्सी जनहित के लिए सौपी गई है लेकिन इस उद्देश्य की भूलकर शहर सरकार के नेता आपसी वर्चस्व की लड़ाई में व्यस्त है l पिछले दिनों कमिश्नर चेम्बर में हुए बाद विवाद एवं बजट के दौरान एमआईसी के सदस्यों के शामिल नही होने की घटना को भी गुटबाजी व वर्चस्व की लड़ाई बताया l




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