महासमुंद जिले में अभिनव पहल, पीएमजीएसवाय सड़कों में प्लास्टिक का उपयोग
महासमुंद जिला पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में एक अभिनव उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जिले में अब प्लास्टिक कचरे को सड़क निर्माण में उपयोग समुचित ढंग से उपयोग किया जा रहा है। इससे सड़कों की गुणवत्ता बढ़ाई जा रही है, और पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बन चुके प्लास्टिक कचरे का भी सार्थक समाधान निकाला जा रहा है।
कलेक्टर विनय लंगेह के मार्गदर्शन में जिले में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन का अभिनव प्रयोग करते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। इस प्रयोग से सड़कों की टिकाऊ क्षमता में औसतन दो से तीन वर्षों की अतिरिक्त वृद्धि होगी ,आमतौर पर डामर से बनी सड़कों का औसत 4 से 5 साल टिकाऊ अवधि होती है, लेकिन प्लास्टिक मिश्रण से यह 6 से 7 साल तक चलेगी। इसके साथ ही प्रति किलोमीटर निर्माण लागत में भी उल्लेखनीय बचत होती है और लागत अपेक्षाकृत कम आती है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता आशीष कुलदीप ने बताया कि वर्ष 2024-25 में जिले की 14 सड़कों, जिनकी कुल लंबाई लगभग 21 किलोमीटर है, में प्लास्टिक का मिश्रण उपयोग किया गया है। इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए आने वाले समय में जिले की 44 सड़कों (लगभग 100 किलोमीटर) का निर्माण भी इसी तकनीक से किया जाएगा। इस प्रक्रिया के अंतर्गत जिले के अपशिष्ट प्रबंधन तंत्र एवं मनीकंचन केंद्र बागबाहरा से एकत्रित प्लास्टिक कचरे को मशीन से छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।
इस कार्य में दो महिला समूहों को भी रोजगार मिला है। इसके पश्चात पूरी सावधानी के साथ इसे गर्म डामर के मिश्रण में मिलाकर सड़क निर्माण में उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से बनी सड़कें सामान्य सड़कों की तुलना में अधिक मजबूत, टिकाऊ और मौसम प्रतिरोधी होती है। पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने प्लास्टिक का इस तरह का उपयोग करना स्वच्छता, संरक्षण और विकासकृतीनों का संतुलित उदाहरण है। जिले के ग्राम झालखमरिया से कमार डेरा तक निर्मित सड़क तथा ग्राम जोरातराई से कमार डेरा तक निर्माणाधीन सड़क में भी प्लास्टिक मिश्रण का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।