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भाजपा नेता की पत्रकारों को खुलेआम धमकी... फिर नेताजी उपसरपंच ने एक पंच के साथ मिलकर रचाई पत्रकारों को महिलाओं के नाम से फँसाने की साजिश...?

"मेरे पार्टी के आदमी हैं, छापना रहेगा तो छाप देना, छोड़ना रहेगा तो छोड़ देना... मेरे चेले चपाटे हैं,पार्टी के कार्यकर्ता हैं, उनके बीच मे मैं ढाल के रूप में हूँ, अगर हमला करना है तो सीधा मेरे ऊपर हमला करो, कुछ कमी है तो बताओ , सेवा कर देंगे मैं बोल दूंगा..." भाजपा नेता की पत्रकारों को खुलेआम धमकी... फिर नेताजी उपसरपंच ने एक पंच के साथ मिलकर रचाई पत्रकारों को महिलाओं के नाम से फँसाने की साजिश...?

रायगढ़/सारंगढ़:- पत्रकारों के बारे में जन-कहावत प्रशिद्ध है "बिना पगार,जन हित में तैयार"..पत्रकार राज्यरूपी जहाज पर खड़ा एक पहरेदार है, जो समुद्र में दूर-दूर तक हर संभावित छोटे-बड़े खतरे पर नजर रखता है. वह लहरों में बह रहे उन डूबतों पर भी नजर रखता, जिन्हें बचाया जा सकता है. वह धुंध और तूफान के परे छिपे खतरों के बारे में भी आगाह कराता है। देश में लोकतंत्र को जिन्दा रखने और जनता के अधिकारों की रक्षा करने की, लोकतंत्र के शेष सभी स्तंभों अर्थात विधायिका ,शासन और प्रशासन अर्थात कार्य पालिका एवं न्याय पालिका के क्रिया कलापों की जानकारी जनता को देना और उसके कार्यों पर नियंत्रण का मुख्य कार्य भी मीडिया का ही होता है। लेकिन जिस तरह पत्रकारों को दबाने,फँसाने,हमला करने से लेकर झूठी एफआईआर करा कर अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के कलंक को धोने की साज़िश आज समाज मे हो रही है,निःसन्देह चिंताजनक है।



जनपद स्तर, जिला पंचायत, कलेक्टर से शिकायत के बाद भी नही सुधरे ग्राम पंचायत सरायपाली के सरपँच/उपसरपंच:-

तकरीबन 1 माह पहले कलेक्टर और जिला पंचायत में लिखित रूप से शिकायत की गयी थी कि पुलिया निर्माण में सरपँच/उपरसपंच ग्राम पंचायत सरायपाली द्वारा मानक गिट्टी और सीमेंट के बदले पैसा गमन करने के उद्देश्य से जंगली पत्थर डाल कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसपर इंजीनियर दिनेश नायक ने मीडिया को स्पस्ट फोन में बताया था कि जंगली पत्थर का उपयोग किया जा रहा था जिसे तकनीकी सहायक द्वारा जा कर निकलवाया गया है, इस पर जांच आयोग गठित हुवी थी, परन्तु कार्यवाही हुवी या आपसी सामंजस्य बैठाकर गुलाबी नोट के दम पर मामला दबा दिया गया इसकी जानकारी नहीं..! परन्तु बीते दिनों फिर इसी एजेंसी को अपने पैसे और पहुंच के दम पर नाली निर्माण की भी एजेंसी प्रदान कर दी गयी।

आदत आसानी से नही छुटती साहेब-

कहा जाता है बुरी लत आसानी से नही छूटती..! निर्माण की पुनः स्वीकृति मिलने पर इस बार बागडोर सम्हाले थे ग्राम के उपसरपंच और तथाकथित भाजपा नेता "नीलांबर पटेल".. जिनके बारे में ग्रामीणों ने बताया कि असली खिलाड़ी तो यही हैं, जो भ्रष्टाचार रूपी नाव के मुख्य नाविक हैं। नाव किस दिशा में मोड़ लेगी यही तय करते हैं..!
जिनके द्वारा पुनः पैसा बचाकर आपसी बंदरबाट करने के उद्देश्य से बिना वन विभाग की अनुमति लिए नाली निर्माण में जंगली पत्थर का बिछावन लगाया जा रहा था। ताकि स्वीकृत राशि मे पैसे बचाकर जेभ भर सकें,और प्रशासन और वन विभाग को चुना लगाया है सके, बाकी जाँच कर्ता अधिकारी और उच्च अधिकारी तो हैं ही नैया पार लगाने..!

मैं आधा घण्टा पहले निकालने को बोला हूँ- तकनीकी सहायक

मौके पर जब इस बाबत तकनीकी सहायक महेश्वर मनहर से बात कर पूछा गया कि क्या बेस में जंगली पत्थर का उपयोग किया जा सकता है? तो उनका मीडिया को कहना था कि मैं अभी दमदरहा में ही हूँ, वो जो नाली जो अभी आप देखकर आये हैं, उसको जस्ट आधा घण्टा पहले देखा हूँ, उन पत्थरों को निकालने के लिए बोला हूँ, मैं उनको बोल के आया हूँ कि ये नही चलेगा, उसको निकलवाये बोलके, मैं यहीं पर हूँ लेबर लोग जाएंगे, मैं निकालने बोला हूँ।

पंच भागीरथी सिदार के नाम से पत्रकारों को और शिकायत हैं कहकर गांव बुलाने का बार-बार प्रयास:-

जंगली पत्थर युक्त नाली का कवरेज करने में पश्चात जनपद वापसी के दौरान एक व्यक्ति जो खुद को स्थानीय पंच भागीरथी सिदार बताकर मोबाइल नम्बर 6263039812 नम्बर से काल कर कहता है कि आपकी शिकायत को मजबूत करना चाह रहे हैं, जल्दी आइये, आप आएंगे तो जान जाएंगे, फोन में पीछे से आवाज़ स्पष्ट सुना रहा था कि किसी तरह से तो बुलाओ...

भाजपा नेता का खबर कवरेज गये पत्रकारों को खुलेआम चेतावनी--

कुछ समय पश्चात मीडियाकर्मियों द्वारा नाली निर्माण में फ़ोटो और वीडियो लेने की बात की जानकारी भाजपा नेता और वर्तमान उपरसपंच नीलांबर पटेल को ज्ञात हुआ तो उनके द्वारा
9009291772 नम्बर पे अपने वरिष्ठ भाजपा नेता से बात कराया गया जिनका चेतावनी भरा या यूं समझे धमकी था कि-"मेरे पार्टी के आदमी हैं, छापना रहेगा तो छाप देना, छोड़ना रहेगा तो छोड़ देना... मेरे चेले चपाटे हैं,पार्टी के कार्यकर्ता हैं, उनके बीच मे मैं ढाल के रूप में हूँ, अगर हमला करना है तो सीधा मेरे ऊपर हमला करो, कुछ कमी है तो बताओ न सेवा कर देंगे मैं बोल दूंगा..." और बेस में बोल्डर डाल सकते हैं कहकर बोला गया।

मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने लिया महिलाओं का सहारा..!

खुद को भाजपा का नेता कहने वाले उपसरपंच निलाम्बर पटेल चूंकि राजनीति से जुड़ा शातिर खिलाड़ी है तो अपनी बाजी चलने से पीछे क्यों रहे । जब पत्रकारों को किसी तरह डरता और फंसता हुवा न देखकर तिलमिला गया और फोन पर मनगढ़त कहानी गढ़ते हुवे पत्रकारों जो बोला कि आप यहां पर महिलाओं से गाली गलौच किये हो। उपरसपंच नीलांबर पटेल की ये ओझी घटना इस कहावत को हूबहू चरितार्थ करती है कि "खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे. "..

आखिर इन सभी के पीछे क्या थी सरपँच/उपसरपंच की मंशा-

चूंकि ग्राम पंचायत सरायपाली, सारंगढ़ मुख्यालय से सुदूर और वनांचल क्षेत्र में स्थित है। जहां अन्य क्षेत्रों के भांति अधिकारियों का दौरा नही हो पाता। और इसका नाजायज फायदा सरपँच/उपरसपंच उठा रहे हैं। जब इनकी काली करतूत को हमने पहली बार सबूत के साथ उजागर किया था तभी जनता और अधिकारियों को ज्ञात हो पाया था। इस पँचायत के खिलाफ कलेक्टर भीमसिंह से लिखित शिकायत भी की गयी थी, इंजीनियर नायक खुद कबूल कर चुके हैं कि वहां भ्रष्टाचार हो रहा था, तकनीकी सहायक ने भी बताया कि दूसरी बार निर्माण कार्य मे भी इनके द्वारा गलत कार्य कराया जा रहा है। तो इन सबसे बौखलाये और खुद के नेतागिरी पर आंच आते देख सरपँच और उपसरपंच नीलांबर पटेल तिलमिलाहट में अपना आपा खो बैठे हैं कि कैसे हमारी मीडिया को इनके द्वारा की जा रही करतूतों की जानकारी हो जाती है।
इन सबसे निपटने का उनको एक ही रास्ता दिखा को क्यों न इनको जान से मारने की धमकी दी जाये या झूठे आरोपों में फंसाने की साजिश रची जाये ताकि कोई पत्रकार फिर इनके भ्रष्टाचार की राह में ब्रेकर लगाने न आ जाये....

कॉंग्रेस सरकार में अकड़ इतना, तो भाजपा सरकार होता तो कितना..?

प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार जिस तरह 15 वर्ष वनवास झेल कर पुनः सिंहासन पर काबिज हुवी है ,उन्होंने जनता का नब्ज पकड़ लिया है, औऱ ऐसे हर जनकल्याण कारी योजनाओं को लागू कर रही है जिससे छत्तीसगढ़ धान के साथ विकास का कटोरा साबित हो। लेकिन वहीं सरायपाली सरीखे कुछ पँचायत ऐसे भी हैं जो सरकार की मंशा पर पानी फेरने की कमरतोड़ कोशिश पर लगे हैं। और आज तक क्षेत्र के किसी बड़े कांग्रेसी नेता के मुंह से जो आवाज़ नही निकली वो बात ऐसे छुटभैये नेता निकाल रहे हैं जो कि अपने क्षेत्र में एक अदना सा बीडीसी भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ उतार नही सके जीत तो दूर की बात है। इनके रवैये देखकर तो ऐसे लग रहा है मानो अभी प्रदेश में कांग्रेस के बदले भाजपा सरकार होती हो ये छुटभैये "आग में भी मूत डालते"... कहीं ऐसे ही तथाकथित भ्रस्टाचार समर्थक नेताओं के कारण फिर से भाजपा को सत्ता से दूर रहना न पड़ जाए..?

क्या कहते हैं थाना प्रभारी अमित शुक्ला:-

पत्रकारों पर ऐसे झूठे आरोप लगाने वालों की कोई कमी नही है। पत्रकारिता जगत में ऐसे झूठी धमकी आम सी हो गयी है। पत्रकारों को डरने की कोई आवश्यकता नही है। अगर आप सही हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपकी कलम को रोक नही सकती। आप सभी ऐसे ही ईमानदारी से कार्य करते रहें।




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