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ग्रामीणों को गांवों में रहना है तो देना होगा टैक्स, राज्य शासन का आदेश

ग्रामीणों को अब गांवों में रहने की कीमत चुकानी पड़ेगी। ग्राम पंचायतों के सचिव ग्रामीणों से सभी प्रकार के कर वसूलेंगे। शासन की सख्ती के बाद अब जिला पंचायत के अफसरों ने जनपदवार फाइलें खंगालनी शुरू कर दी है। जिला पंचायत के अफसरों का कहना है वैसे तो टैक्स वसूलने का नियम पहले से ही है, लेकिन गांवों के रसूखदार भी पंचायतों काे टैक्स नहीं दे रहे हैं।

ग्रामीणों पर टैक्स का बोझ अब और बढ़ सकता है। जिला पंचायत और नगर पंचायतों की तर्ज पर ग्राम पंचायतों से टैक्स वसूलने का अधिकार पहले ही मिल चुका है। पंचायत राज अधिनियम में मिले प्रावधान को आगे बढ़ाते हुए शासन ने ग्राम पंचायतों को टैक्स के जरिए राजस्व में वृद्धि करने के निर्देश दिए हैं।

शहरों की तर्ज पर गांवों में भी संपत्तिकर, जलकर और स्ट्रीट लाइट कर वसूला जाएगा। टैक्स वसूली नहीं होने से शासन को राजस्व नहीं मिल रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय की सख्ती के बाद जिला पंचायत ने सभी जनपदों से टैक्स वसूली की फाइलें मंगाई है और पूछा है कि कितनी टैक्स वसूली की गई। जिपं के अफसरों ने बताया कि टैक्स वसूली शुरू की थी, लेकिन अधिकांश लोगों से टैक्स नहीं मिलने के कारण वसूली लगभग बंद हो गई है।

80% आबादी गरीब, इसलिए टैक्स नहीं मिलता
एक सर्वे के मुताबिक गांवों में 80% आबादी गरीब है। इसलिए टैक्स वसूली में गांवों में मजदूरपेशा और बेरोजगार लोग ज्यादा हैं। सवाल यह है कि उनसे भला टैक्स कैसे लिया जा सकता है, लेकिन अफसरों का कहना है कि कच्चे मकानों से भी टैक्स लिए जाएंगे।





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