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मुख्यमंत्री जब सरकारी घर खाली करते है तो ये नियम करने होते हैं फॉलो… मंहगे और सस्ते गिफ्ट को लेकर हैं अलग नियम

महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है और राजनीतिक संकट की स्थिति बनी हुई है. संकट की इस स्थिति के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीएम हाउस खाली कर दिया है, जिसके बाद चर्चाएं और भी ज्यादा होने लगी हैं. 

दरअसल, उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देने से पहले ही घर खाली कर दिया है. राजनीतिक उठापटक की कई अपडेट के बीच सीएम हाउस खाली करना अलग चर्चा का विषय बन गया है. आप राजनीति संकट को लेकर आ रहे अपडेट पर तो नजर बनाए होंगे, इसी बीच आपको बताते हैं किसी भी मंत्री के घर से जुड़ी खास बातें.

ऐसे में आज आपको बताते हैं कि जब कोई मंत्री अपना घर खाली करता है तो उन्हें किन नियमों का पालन करना होता है. इन नियमों में गिफ्ट और उनकी कीमत को लेकर भी सरकार की ओर से कई नियम तय किए गए हैं तो जानते हैं मंत्रियों के घर से जुड़ी खास बातें…

कब तक खाली करना होता है खाली?
सांसदों, मंत्रियों आदि को तो उनकी सैलरी और सीनियरटी के हिसाब से घर अलॉट किया जाता है. इनके लिए अलग से हाउसिंग कमेटी होती है, जिसके जरिए नेताओं को घर अलॉट किए जाते हैं. वैसे तो मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री पद पर रहने तक सरकारी बंगले का इस्तेमाल किया जा सकता है. 

अक्सर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सीएम पद से हटने के 1 महीने के भीतर ही घर खाली कर दिया है. लेकिन, मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उमा भारती लंबे समय तक मुख्यमंत्री निवास में रही थीं. उन्होंने करीब 3 माह बाद बंगला खाली किया था, जब उन्हें खाली करने के आदेश दिए गए थे.

खाली करने को लेकर क्या है नियम?
मंत्री अगर विदेश जाते हैं या भारत में अन्य प्रतिनिधियों से गिफ्ट ले सकते हैं. ये गिफ्ट दो कैटेगरी में आते हैं. पहली कैटेगरी के गिफ्ट में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जैसे गिफ्ट होते हैं, प्राप्तकर्ता रख सकते हैं. गिफ्ट की दूसरी कैटेगरी वो होती है, जिसे प्रतीकात्मक नहीं होते हैं. 

अगर इन गिफ्ट की कीमत 5000 रुपये से कम है तो इसे मंत्री अपने पास रख सकते हैं. अगर यह कोई मंहगा गिफ्ट है तो तोशखाना में इसकी वैल्यू के लिए इस जमा करना होता है. अगर यह गिफ्ट 5000 रुपये से कम का होता है तो इसे मंत्री को दे दिया जाता है और अगर महंगा है तो इसे तोशखाना में रख दिया जाता है.

इसके बाद अगर कोई मंत्री कोई गिफ्ट चाहता है तो इसे खरीद भी सकता है. इसके लिए उसे 5000 रुपये से ज्यादा का अमाउंट जमा करना होता है. इसमें सिर्फ हाउसहोल्ड सामान ही खरीदा जा सकता है, जिसमें कारपेट, फर्निचर, पेंटिंग आदि शामिल है. अगर कोई दूसरा आइटम है और उसे कोई नहीं खरीदता है तो उसे म्यूजियम में रखा जाता है.

अपने हिसाब से कर लेते हैं बदलाव
अक्सर मुख्यमंत्री अपने हिसाब से घर में बदलाव करते हैं. कई बार कई मंत्री वास्तु के हिसाब तो कई जरूरत के हिसाब से इनमें बदलाव करते हैं. जैसे कई बार तो मुख्यमंत्री हाउस में चार-पांच महीने तक काम चलता है. कई बार रिपोर्ट्स आती है कि किसी मुख्यमंत्री ने अपने लिए हॉल बनवाया तो किसी ने कॉरपोरेट लुक दे दिया.




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