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तुमगांव : शासन के साथ धोखाधड़ी, फर्जी तरीके से पट्टा बनाकर बेचे धान, पति-पत्नी के खिलाफ केस दर्ज

महासमुंद जिले के तुमगांव थाना क्षेत्र के ग्राम मालीडीह निवासी पति-पत्नी के खिलाफ कुटरचना कर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में धान बेचने के मामले में मामला दर्ज किया गया है. जिला दण्डाधिकारी कार्यालय आदिवासी विकास शाखा जिला महासमुंद में पदस्थ सहायक आयुक्त शिल्पा साय ने जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर थाने में शिकायत दर्ज करायी है.

थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक, ग्राम मालीडीह निवासी दिलीप असगर एवं कामता बाई के द्वारा ग्राम मालीडीह वन क्षेत्र के खसरा नंबर 829/1 रकबा 1.95 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 829/2 रकबा 1.95 हेक्टेयर का किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा वन अधिकार पट्टा जारी नहीं किया गया था. इसके बावजूद दिलीप और कामता ने कुटरचना कर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में बिक्री हेतु पंजीयन कराकर धान विक्रय कर शासन के साथ धोखाधडी कर लाभ अर्जित किया.

अधिकारियों का जांच दल गठन कर उक्त संबंध में जांच किया गया. जांच के दौरान सरपंच, सचिव ग्राम पंचायत मालीडीह मोहन चंद्राकर अध्यक्ष वन समिति मालिडीह एवं अनावेदकगण दिलीप असगर एवं श्रीमती कामता बाई असगर तथा घटना के संबंध में जानकारी रखने वाले ग्रामीण लोगों उत्तम सिन्हा एवं उद्धव प्रसाद सचिव, वनाधिकार समिति ग्राम मालीडीह, सेवती बाई सदस्य वनाधिकार समिति ग्राम मालीडीह, ग्रामीण रविन्द्र कुमार चंद्राकर से पूछताछ करने पर दिलीप असगर एवं कामताबाई असगर को व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा फर्जी तरीके से तैयार कर विगत 12-13 वर्षों से खेती कर तुमगांव धान-खरीदी केन्द्र में पंजीयन कराकर धान विक्रय करना बताया गया.


जांच में दिलीप असगर एवं कामताबाई द्वारा व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा का मूल प्रति जांच दल के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, जबकि धान खरीदी केन्द्र में अनावेदकगण द्वारा व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टे की छायाप्रति संलग्न किया गया था. उपरोक्तानुसार सभी तथ्यों के प्रकाश में जांच दल के सभी सदस्यों का स्पष्ट अभिमत है कि दिलीप असगर और कामता को कभी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा वनाधिकार प्रपत्र परिशिष्ट-बी.-3, उपाबंध-2, क्रमांक-1114771 एवं 1114772 जारी नहीं किया गया है.

अनावेदकों के द्वारा वनाधिकार पट्टें की मूलप्रति प्रस्तुत नहीं किये जाने से प्रतीत होता है, कि उनके द्वारा तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है, तथा प्रकरण में प्रस्तुत वनाधिकार प्रपत्र की छायाप्रति के अवलोकन से प्रतीत होता है कि अनावेदकों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर महासमुन्द, वनमण्डलाधिकारी महासमुन्द एवं सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास जिला-महासमुन्द के हस्ताक्षर एवं पदमुद्रा को स्कैनिंग/फोटोशॉप तथा अन्य तकनीकी साधनों का उपयोग करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया है.

मामले की शिकायत के बाद पुलिस ने दिलीप असगर एवं कामताबाई के खिलाफ 34-IPC, 420-IPC, 467-IPC, 468-IPC, 471-IPC के तहत अपराध कायम किया है.




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