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बसना : शिक्षा दे रहे हेल्थ केयर की, बदले में कर रहे पेड़ों को बर्बाद.... बावजूद इसके नहीं है कोई अफसोस..

इस देश में पेड़ और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए शासन द्वारा हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर नि:शुल्क पौधे वितरण कराये जाते हैं. पर्यावरण दिवस के दिन पौधे रोपने वाले नेता, पर्यावरण पर तरह-तरह की भाषण देकर चले जाते हैं. और इसके बाद उन पेड़ों को शायद भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है. जब बात आती है पेड़ों को बचाने की, तो ना विभाग नजर आता है और ना ये नेता. शायद पेड़ भी इन्हें देखकर मतलबी सोचता होगा.

कुछ दिन पूर्व पेड़ों पर कील ठोककर लगाये गए विज्ञापन के संबंध में हमारे द्वारा लेख प्रकाशित किया गया था, बावजूद इसके सम्बंधित लोगों पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसके बाद लागातार ऐसे लोगों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और धीरे-धीरे नजर आने लगे हैं हर पेड़ों पर विज्ञापन.

ये विज्ञापन लगाने वाले कोई नासमझ नहीं हैं, बल्कि समझदार लोगों द्वारा यह कार्य किया जा रहा है जिसका उन्हें कोई अफसोस नहीं है. इस बार हम बात कर रहे हैं एक शिक्षण संस्थान की जो लोगों को हेल्थ केयर की शिक्षा देने की बात करता है. लेकिन शायद इस शिक्षा संस्थान को पेड़ों के जीवन के बारें में कुछ भी नही पता इसलिए पेड़ों में खील ठोककर ये अपना विज्ञापन लगा रहे हैं, अब जिसे पेड़ों के जीवन के बारें में ही नहीं पता वो संस्थान हेल्थ केयर से सम्बंधित किस तरह की शिक्षा देगा यह भगवान भरोसे है.

आज जब हमने बसना क्षेत्र के कुछ पेड़ों पर एक नए शिक्षण संस्थान “चैतन्य इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस” का विज्ञापन देखा और उसमें दिए गए नंबर पर संपर्क कर पूछा की क्या आप चैतन्य इंस्टीट्यूट से बोल रहे हैं तो उनका कहना था कि हां चैतन्य इंस्टीट्यूट से बोल रहे हैं. इसके बाद हमने पूछा कि हमने ये पेड़ों पर आपके विज्ञापन देखे हैं, क्या ये आपने लगाये हैं, जिसपर उन्होंने कहा की हां हमने लगाये हैं. फिर जब हमने पूछा कि आप पेड़ में लगा देंगे विज्ञापन ? तो उनका कहना था कि कोई नियम बना है क्या कि पेड़ में विज्ञापन नही लगाया जाए. फिर जब हमने कहा कि शिक्षा तो आप हेल्थ केयर की दे रहे हैं लेकिन आपको ये नहीं पता की पेड़ों की जिंदगी होती है. इस पर उन्होंने एक शब्द में अपना बयान बदलते हुए कह दिया कि हमने विज्ञापन नहीं लगाये हैं आपको जो करना है कर लें और फोन काट दिया गया.

आखिर किस विभाग की जिम्मेदारी है इन पेड़ों को बचाने की, और कब तक ये पेड़ इन विज्ञापनों की बलि बनते रहेंगे अगर शासन-प्रशासन इनके ऊपर कार्यवाही कर पेड़ों को बचाने में असक्षम है तो इन्हें पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने के बहाने किये जाने वाले आडम्बर को बंद कर देना चाहिए.


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