बसना : शौचालय का राशि खा गये जनप्रतिनिधियो के अपात्र पति।
सरकार की मंशा है निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन की योजनाओ को वंचित व पात्र लाभार्थियो को प्रदाय किये जाने का। जिससे पंचायती राज का सपना साकार हों। लेकिन जब निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही शासन की इस महती योजना को डकारने में लगे है। तो बंटाधर होना तय है। ग्राम पंचायत जगत वि.ख. बसना में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) योजना में भ्रष्टाचार किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। लेकिन जिला पंचायत महासमुन्द में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाबजूद जिम्मेदार अधिकारी ने ठोस कार्यवाही करने के बजाय फाइल को ही दबाये बैठे है। जिसकी शिकायत शासन स्तर में किया जा रहा है।
बता दे कि ग्राम पंचायत जगत में वर्ष 2016-17 में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण)योजना के तहत एसबीएम में 136 एवं मनरेगा 76 शौचालय निर्माण किये जाने के लिए प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी हुआ। जिसके अनुपालन में शौचालय निर्माण किया। निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी घटिया किस्म का था। मटेरियल सप्लाई भी अपने चहेतो को वेंडर बनाकर कागजो में निपटा दिया गया है। जिन फर्मो को राशि भुगतान किया है। उसका केशबुक एवं बिल बाउचर भी ग्राम पंचायत में उपलब्ध नही है। हैरत की बात है कि इस गडबडी के दौरान 03 पंचायत सचिव क्रमशः हेतराम पटेल, निमंकर पटेल एवं लखपति साहू पदस्थ रहे। लेकिन केशबुक व बिल बाउचरो के गायब होने के संबंध में कोई भी पंचायत सचिव ने उच्च अधिकारी को लिखित में जानकारी देकर अवगत नही कराया है। सूत्रो के अनुसार पंचायत सचिवो ने इस गडबडी को छुपाने के लिए शासकीय अभिलेख व रिकार्ड को नष्ट कर दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने इस गडबडी व भ्रष्टाचार का शासन स्तर में लिखित शिकायत किया। जिससे जिला पंचायत महासमुन्द के द्वारा 03 सदस्यीय जांच टीम बनाकर जांच कराया गया है। जांच में जांचकर्ता अधिकारी मनोज सिन्हा, तुलसी जायसवाल, रूपसिंग सिदार ने पाया गया कि तात्कालीन सरपंच श्रीमती सुलोचना राजहंस ने अपने पति शोभाराम राजहंस को भी शौचालय निर्माण के लिए पात्र बताकर लाभ दिया है। जबकि शोभाराम राजहंस सरकारी कर्मचारी थे। वे पिरदा आदिवासी हास्टल में अधीक्षक थे। इसी तरह जनपद सदस्य के श्रीमती देवकुमारी पटेल के पति फूलचंद पटेल को भी जबरन पात्र बताकर लाभ दिया है। पंच किशन पिता वनमाली को लाभाविन्त किया है।
विदित है कि उतेकेल ग्राम पंचायत में ऐसे ही अपात्र व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया गया था। जिसमें तत्काल कार्यवाही करते हुए सच्चिदानंद आलोक ने सरंपच सचिव मेट सहित अन्य अपात्र लाभार्थी के विरूद्व एफआइआर कराने का आदेश दिया। लेकिन बहरहाल इस प्रकरण में जांच प्रतिवेदन पाने के बाबजूद चुप्पी साधे बैठे है। जबकि इस मामले में भी वैसा ही होना था। शिकायतकर्ता ने बताया कि इसकी शिकायत शासन स्तर में किया जायेगा।
[03/02, 9:15 am] विनोद दास: *शौचालय का राशि खा गये जनप्रतिनिधियो के अपात्र पति।*
बसना। सरकार की मंशा है निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन की योजनाओ को वंचित व पात्र लाभार्थियो को प्रदाय किये जाने का। जिससे पंचायती राज का सपना साकार हों। लेकिन जब निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही शासन की इस महती योजना को डकारने में लगे है। तो बंटाधर होना तय है। ग्राम पंचायत जगत वि.ख. बसना में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) योजना में भ्रष्टाचार किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। लेकिन जिला पंचायत महासमुन्द में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाबजूद जिम्मेदार अधिकारी ने ठोस कार्यवाही करने के बजाय फाइल को ही दबाये बैठे है। जिसकी शिकायत शासन स्तर में किया जा रहा है।
बता दे कि ग्राम पंचायत जगत में वर्ष 2016-17 में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण)योजना के तहत एसबीएम में 136 एवं मनरेगा 76 शौचालय निर्माण किये जाने के लिए प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी हुआ। जिसके अनुपालन में शौचालय निर्माण किया। निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी घटिया किस्म का था। मटेरियल सप्लाई भी अपने चहेतो को वेंडर बनाकर कागजो में निपटा दिया गया है। जिन फर्मो को राशि भुगतान किया है। उसका केशबुक एवं बिल बाउचर भी ग्राम पंचायत में उपलब्ध नही है। हैरत की बात है कि इस गडबडी के दौरान 03 पंचायत सचिव क्रमशः हेतराम पटेल, निमंकर पटेल एवं लखपति साहू पदस्थ रहे। लेकिन केशबुक व बिल बाउचरो के गायब होने के संबंध में कोई भी पंचायत सचिव ने उच्च अधिकारी को लिखित में जानकारी देकर अवगत नही कराया है। सूत्रो के अनुसार पंचायत सचिवो ने इस गडबडी को छुपाने के लिए शासकीय अभिलेख व रिकार्ड को नष्ट कर दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने इस गडबडी व भ्रष्टाचार का शासन स्तर में लिखित शिकायत किया। जिससे जिला पंचायत महासमुन्द के द्वारा 03 सदस्यीय जांच टीम बनाकर जांच कराया गया है। जांच में जांचकर्ता अधिकारी मनोज सिन्हा, तुलसी जायसवाल, रूपसिंग सिदार ने पाया गया कि तात्कालीन सरपंच श्रीमती सुलोचना राजहंस ने अपने पति शोभाराम राजहंस को भी शौचालय निर्माण के लिए पात्र बताकर लाभ दिया है। जबकि शोभाराम राजहंस सरकारी कर्मचारी थे। वे पिरदा आदिवासी हास्टल में अधीक्षक थे। इसी तरह जनपद सदस्य के श्रीमती देवकुमारी पटेल के पति फूलचंद पटेल को भी जबरन पात्र बताकर लाभ दिया है। पंच किशन पिता वनमाली को लाभाविन्त किया है।
विदित है कि उतेकेल ग्राम पंचायत में ऐसे ही अपात्र व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया गया था। जिसमें तत्काल कार्यवाही करते हुए सच्चिदानंद आलोक ने सरंपच सचिव मेट सहित अन्य अपात्र लाभार्थी के विरूद्व एफआइआर कराने का आदेश दिया। लेकिन बहरहाल इस प्रकरण में जांच प्रतिवेदन पाने के बाबजूद चुप्पी साधे बैठे है। जबकि इस मामले में भी वैसा ही होना था। शिकायतकर्ता ने बताया कि इसकी शिकायत शासन स्तर में किया जायेगा।