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ग्रामीण भारत में डिजिटल सशक्तिकरण को सशक्त बनाने वाली पहल, भारतनेट परियोजना के तहत 2.18 लाख ग्राम पंचायत सेवा के लिए तैयार

भारतनेट भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य देश की सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण दूरसंचार परियोजनाओं में से एक है।

भारतनेट परियोजना का उद्देश्य

इसका प्राथमिक उद्देश्य सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी तक पहुंच प्रदान करना है। यह मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी), केबल टीवी ऑपरेटरों और सामग्री प्रदाताओं जैसे एक्सेस प्रदाताओं को ग्रामीण और दूरदराज के भारत में ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी विभिन्न सेवाएँ शुरू करने में सक्षम बनाता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना, समावेशी विकास को बढ़ावा देना और शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच विकास के अंतर को पाटना है।

भारतनेट परियोजना के विभिन्न चरण

इस परियोजना का उद्देश्य शुरू में देश भर में लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना था। दूरसंचार आयोग ने 30 अप्रैल 2016 को तीन चरणों में परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी

चरण 1 : मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह चरण दिसंबर 2017 में पूरा हुआ।

चरण 2 : ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो और सैटेलाइट तकनीकों का उपयोग करके अतिरिक्त 1.5 लाख ग्राम पंचायतों तक कवरेज का विस्तार किया गया। इस चरण में राज्य सरकारों और निजी संस्थाओं के साथ सहयोगात्मक प्रयास शामिल थे। यह चरण अभी जारी है।

चरण 3 : 5जी तकनीकों को एकीकृत करके, बैंडविड्थ क्षमता बढ़ाकर और अंतिम-बिंदु तक मजबूत कनेक्टिविटी सुनिश्चित करके नेटवर्क को भविष्य के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य है। यह चरण जारी है। अगस्त 2023 में स्वीकृत संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (एबीपी) को इस विकास का हिस्सा माना जा सकता है।

संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (एबीपी)

अगस्त 2023 में स्वीकृत, एबीपी एक डिज़ाइन सुधार है जिसका लक्ष्य रिंग टोपोलॉजी (एक नेटवर्क डिज़ाइन जहाँ कनेक्टेड डिवाइस एक गोलाकार डेटा चैनल बनाते हैं) में 2.64 लाख जीपी को ऑप्टिकल फाइबर (ओएफ) कनेक्टिविटी और मांग पर शेष गैर-जीपी गांवों को ओएफ कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इसमें ब्लॉक और जीपी पर राउटर के साथ (आईपी-(एमपीएलएस)-(इंटरनेट प्रोटोकॉल मल्टी-प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग) नेटवर्क, 10 साल के लिए संचालन और रखरखाव, पावर बैकअप और रिमोट फाइबर मॉनिटरिंग सिस्टम (आरएफएमएस) जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इसकी आवंटित लागत 1,39,579 करोड़ रुपये है।

ग्रामीण भारत में डिजिटल सशक्तिकरण को सशक्त बनाने वाली पहल

भारतनेट के पूरक के रूप में कई अन्य पहल की गई हैं, जिनमें शामिल हैं: प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): ग्रामीण परिवारों में डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए, 31 मार्च, 2024 तक 6.39 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया।

राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (एनबीएम): डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे के विस्तार को तेज़ करने के लिए लॉन्च किया गया। राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 को 17 जनवरी, 2025 को लॉन्च किया गया था। एनबीएम के तहत प्रमुख पहलों में सेंट्रलाइज्ड राइट ऑफ़ वे (आरओडब्ल्यू) पोर्टल गतिशक्ति संचार शामिल है।

भारतनेट को कैसे वित्तपोषित किया जा रहा है?

भारतनेट को मुख्य रूप से डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है, जो एक ऐसा फंड है जिसने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) की जगह ली है। मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत भारतनेट (चरण-1 और चरण-2) के लिए कुल वित्त पोषण 42,068 करोड़ रुपये (जीएसटी, ऑक्ट्रोई और स्थानीय करों को छोड़कर) है। 31.12.2023 तक, भारतनेट परियोजना के तहत इसकी शुरुआत से अब तक कुल 39,825 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।

भारतनेट परियोजना को कौन कर रहा क्रियान्वित ?

परियोजना को भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) नामक एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के तहत 25.02.2012 को शामिल किया गया था। संशोधित भारतनेट कार्यक्रम के तहत, बीएसएनएल को पूरे नेटवर्क के संचालन और रखरखाव के लिए एकल परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के रूप में नियुक्त किया गया है।

भारतनेट कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति

देश में भारतनेट परियोजना के तहत 19 मार्च 2025 तक, 2,18,347 जीपी को सेवा के लिए तैयार किया गया है। ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) की लंबाई 25 मार्च, 2025 तक, बढ़कर 42.13 लाख रूट किमी हो गई है।

13 जनवरी 2025 तक 6,92,676 किलोमीटर ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबल) बिछाई जा चुकी है। तथा 12,21,014 फाइबर-टू-द-होम (एफटीटीएच) कनेक्शन चालू किए जा चुके हैं 1,04,574 वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाए जा चुके हैं।

भारतनेट नेटवर्क का उपयोग

नेटवर्क का उपयोग बैंडविड्थ और डार्क फाइबर को पट्टे पर लेकर, सार्वजनिक स्थानों पर ब्रॉडबैंड या इंटरनेट सेवाओं तक पहुंचने के लिए वाई-फाई और फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) के माध्यम से किया जाता है। अंतिम बिंदु तक संपर्क (एलएमसी) सार्वजनिक स्थानों पर वाई-फाई या सरकारी संस्थानों जैसे स्कूल, अस्पताल, डाकघर आदि में एफटीटीएच सहित अन्य उपयुक्त ब्रॉडबैंड तकनीकों के माध्यम से प्रदान की जाती है।

भारतनेट परियोजना के क्या लाभ और प्रभाव

भारतनेट ने ग्रामीण भारत पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है, जो कई प्रकार से सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देता है:

डिजिटल समावेशन: दूरदराज के गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना, ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन शिक्षा और टेलीमेडिसिन तक पहुँच को सक्षम बनाना।

आर्थिक अवसर: डिजिटल कॉमर्स क्षेत्र में भागीदारी को सक्षम बनाना, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और उद्यमशीलता के अवसर।

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा: डिजिटल कक्षाओं और टेलीहेल्थ सेवाओं की सुविधा प्रदान करना।

स्थानीय शासन को सशक्त बनाना: ग्राम पंचायतों को ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को लागू करने में सक्षम बनाना।

भारतनेट में सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड की भूमिका

सीएससी (कॉमन सर्विसेज सेंटर) ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीएससी-एसपीवी) को वाई-फाई एक्सेस पॉइंट्स और एफटीटीएच कनेक्शन के माध्यम से जीपी में अंतिम बिंदु तक कनेक्टिविटी प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। सितंबर 2024 तक, जीपी में 1,04,574 वाई-फाई एक्सेस पॉइंट और 11,41,825 एफटीटीएच कनेक्शन स्थापित किए जा चुके हैं। सीएससी-एसपीवी ने जीपी से ओवरहेड ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया।

डीबीएन और नाबार्ड के बीच सहयोग

डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने भारतनेट कार्यक्रम के तहत डिजिटल सेवाओं, डिजिटल गवर्नेंस तक पहुंच प्रदान कर हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में संदर्भ डेटा साझा करना, डिजिटल सामग्री साझा करना, डिजिटल सेवाओं का एकीकरण, जागरूकता और क्षमता निर्माण, डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और आईसीटी बुनियादी ढांचे को शामिल करना शामिल है।

भारतनेट ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी संबंधित

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भारतनेट के साथ-साथ, मोबाइल कनेक्टिविटी के विस्तार पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। दिसंबर 2024 तक लगभग 6,25,853 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध है, जिसमें 6,18,968 गांवों में 4जी मोबाइल कवरेज है। औसत मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ये प्रयास डिजिटल अंतर पूरा करने में भारतनेट के पूरक हैं।


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