
ओडिशा से चावल निर्यात को बढ़ाने की रणनीतियों पर हुई चर्चा, राज्य के कई जीआई टैग और कृषि उत्पाद प्रदर्शित किए गए
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और ओडिशा सरकार ने 25 अप्रैल 2025 को भुवनेश्वर स्थित डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन हॉल, ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) में 'ओडिशा से कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा' देने के लिए एक कार्यशाला सह क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस आयोजन में ओडिशा के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)/किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी), महिला कृषि उद्यमियों, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और निर्यातकों द्वारा 10 से अधिक स्टॉल लगाए गए। प्रदर्शनी में राज्य के कई जीआई टैग और कृषि उत्पाद जैसे कोरापुट काला जीरा चावल, नयागढ़ कांतिमुंडी, बैंगन, गंजम केवड़ा फूल उत्पाद, कोरापुट कॉफी, कंधमाल हल्दी पाउडर, केंद्रापड़ा रसाबली, सालपुर रसगुल्ला, खजूरी गुड़, ढेंकानाल मगजी लड्डू और मयूरभंज काई चटनी और कृषि उत्पाद प्रदर्शित किए गए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओडिशा के उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री कणक वर्धन सिंह देव ने अपने उद्घाटन भाषण में राज्य सरकार की कृषि निर्यात को विशेषकर जैविक उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने निर्यातकों से राज्य के विविध कृषि उत्पादों, विशेष रूप से जीआई टैग उत्पादों को वैश्विक बाजारों में बढ़ावा देने का आग्रह किया। साथ ही, कृषि निर्यात बढ़ाने में एपीडा और राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग की सराहना की।
कार्यक्रम में ओडिशा के कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। पहले सत्र में संशोधित 'राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी)' के तहत जैविक निर्यात को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई, जिसमें जैविक प्रमाणन, मूल्य श्रृंखला विकास और बाजार पहुंच पर विशेष जोर दिया गया।
दूसरे सत्र में ओडिशा से चावल निर्यात को बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा हुई, जिसमें विशिष्ट किस्मों का लाभ उठाना, लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाना और निर्यात में आने वाली चुनौतियों का समाधान शामिल था। तीसरे सत्र में कृषि प्रसंस्कृत और जीआई टैग वाले उत्पादों में मूल्य संवर्धन और निर्यात संवर्धन के अवसरों का अन्वेषण किया गया, जिसमें लॉजिस्टिक्स, कोल्ड चेन ढांचा और बाजार संपर्क को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया।
इस कार्यक्रम में राज्य सरकार के अधिकारी, ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, किसान संगठन (एफपीओ/एफपीसी) और प्रगतिशील किसानों समेत 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के इतर, एपीडा (जो एनपीओपी का सचिवालय है) ने ओडिशा राज्य के 30 से अधिक जैविक उत्पादक समूहों और प्रमाणन निकायों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया। इसमें 9 जनवरी, 2025 को लॉन्च हुए एनपीओपी के 8वें संस्करण में किए गए संशोधनों और किसानों की शंकाओं के समाधान पर चर्चा हुई। सांसद और संसदीय स्थायी समिति-कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण के सदस्य सुकांत कुमार पाणिग्रही ने अपने संबोधन में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) और ओडिशा से कृषि निर्यात को समर्थन देने के लिए कृषि-आधारभूत संरचना निधि के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना समग्र कृषि निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से संभव है, जो प्रतिस्पर्धी लाभ, आर्थिक विकास, बेहतर रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ावा देगा।
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने अपने स्वागत भाषण में कृषि उत्पादों, विशेषकर जैविक उत्पादों, के लिए निर्यातोन्मुख रणनीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य में कृषि निर्यात की अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि विविधता और उत्पादन की अधिकता के कारण ओडिशा के पास विशेष अवसर हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में और भी कई कार्यक्रम एवं निर्यात सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जो कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम होंगे। उन्होंने राज्य के किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, ताकि बाजार तक पहुंच, प्रचार और विस्तार हो सके।
यह कार्यशाला सह क्षमता निर्माण कार्यक्रम और तकनीकी सत्र केंद्र एवं राज्य सरकारों, उद्योग तथा शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने में सफल रहा, जिससे निकट भविष्य में राज्य में एक मजबूत कृषि निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।