
हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले भारत के 11वें खिलाड़ी बन गए महेंद्र सिंह धोनी
सोमवार 9 जून को हुए इस इवेंट में धोनी के अलावा अलग-अलग देशों से 6 अन्य दिग्गजों को हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया. इसमें ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनर मैथ्यू हेडन, साउथ अफ्रीका के पूर्व दिग्गज कप्तान ग्रेम स्मिथ, साउथ अफ्रीका के ही दिग्गज बल्लेबाज हाशिम अमला, न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और स्टार स्पिनर डेनियन वेट्टोरी, पाकिस्तान महिला टीम की पूर्व कप्तान सना मीर को भी शामिल किया गया.
भारत की ओर से सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़ समेत कई महान खिलाड़ियों को बीते सालों में ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जाता रहा है. धोनी ये सम्मान पाने वाले भारत के 11वें खिलाड़ी बन गए.
उनसे पहले इन 10 खिलाड़ियों को हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया है- कपिल देव (2009), सुनील गावस्कर (2009), बिशन सिंह बेदी (2009), अनिल कुंबले (2015), राहुल द्रविड़ (2018), सचिन तेंदुलकर (2019), वीनू मांकड़ (2021), डायना इडुलजी (2023), वीरेंद्र सहवाग (2023) और नीतू डेविड (2024).
धोनी ने भारतीय क्रिकेट को बदलकर रख दिया
एमएस धोनी ने भारत के लिए तीनों प्रारूपों में कुल 538 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 17,266 रन बनाए और 829 शिकार किए. धोनी का वनडे डेब्यू 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ हुआ था, जिसमें वह रन आउट होकर खाता भी नहीं खोल पाए थे. लेकिन 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टनम में उन्होंने 123 गेंदों पर 148 रन ठोककर अपनी दस्तक दर्ज करा दी.
इसी साल अक्टूबर में उन्होंने जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ 145 गेंदों में 183 रन ठोककर सबको चौंका दिया. यह आज भी वनडे में विकेटकीपर द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है.
2007 के पहले टी20 वर्ल्ड कप के लिए धोनी को कप्तानी सौंपी गई. भारत ने इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता. धोनी ने एक नई युवा टीम के साथ कमाल कर दिखाया, जिसमें रोहित शर्मा, आरपी सिंह, रॉबिन उथप्पा जैसे कई युवा चेहरे थे.
इसके बाद धोनी की कप्तानी में भारत ने 2014 के टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल और 2016 का सेमीफाइनल भी खेला. उनकी कप्तानी में भारत ने वनडे और टेस्ट दोनों प्रारूपों में भी बेहतरीन सफलता हासिल की.
सिर्फ सीमित ओवरों में ही नहीं, टेस्ट क्रिकेट में भी धोनी ने भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. दिसंबर 2009 में उनकी कप्तानी में भारत पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 बना. धोनी का बल्लेबाज़ी अंदाज़ टेस्ट में भी अलग ही था – आक्रमक और बेबाक.
पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में 153 गेंदों पर 148 रन और इंग्लैंड के लॉर्ड्स में 76 रनों की जुझारू पारी ने उनकी क्षमता को साबित किया. चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 224 रन की पारी तो यादगार रही. धोनी ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. लेकिन उनका योगदान भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद रहेगा.