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पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में 6 नई वैश्विक विकास पहलों का प्रस्ताव रखा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के पहले दिन विश्व के विकास के उद्देश्य से छह नई पहलों का प्रस्ताव रखा। इनमें वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार की स्थापना, अफ्रीका कौशल गुणक कार्यक्रम, वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया दल, नशीली दवाओं और आतंकवाद के गठजोड़ का मुकाबला करने की पहल, ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप और महत्वपूर्ण खनिज परिपत्र पहल शामिल हैं।
सम्मेलन के पहले दिन दो सत्रों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ये पहल सभी के लिए विकास, प्रगति और कल्याण के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने कहा कि इन पहलों से चहुमुखी विकास को हासिल करने में सहायता मिलेगी।
समावेशी और सतत आर्थिक विकास पर पहले सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी-20 वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार, आने वाली पीढ़ियों के लाभ के लिए मानवता के सामूहिक ज्ञान का उपयोग करेगा। अफ्रीका कौशल गुणक कार्यक्रम का उद्देश्य अफ्रीका में युवाओं को कुशल बनाने के लिए 10 लाख प्रमाणित प्रशिक्षकों का एक समूह स्थापित करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने एक जी-20 वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया दल के गठन का भी प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रत्येक जी-20 देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल होंगे और जिन्हें दुनिया के किसी भी हिस्से में वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए तैनात किया जा सकता है। उन्होंने मादक पदार्थों की तस्करी की चुनौती से निपटने और मादक पदार्थों और आतंकवाद के गठजोड़ को तोड़ने के लिए एक जी-20 पहल का भी सुझाव दिया।

एक लचीले विश्व पर दूसरे सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिटिकल मिनरल्स सर्कुलरिटी इनिशिएटिव के निर्माण का प्रस्ताव रखा। यह पहल पुनर्निर्माण, शहरी खनन, सेकेंड-लाइफ बैटरी परियोजनाओं और संबंधित नवाचारों को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा को मज़बूत करना और विकास के मार्ग प्रशस्त करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप पर, उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से, जी-20 अंतरिक्ष एजेंसियों का उपग्रह डेटा विकासशील देशों, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, को कृषि, मत्स्य पालन, आपदा प्रबंधन और अन्य गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

दूसरे सत्र के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए जलवायु रूपरेखा पर व्यापक सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया और भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान खाद्य सुरक्षा पर अपनाए गए सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस सत्र में आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रति एक सुदृढ़ विश्व के निर्माण और मज़बूत खाद्य प्रणालियों के साथ-साथ न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इन सभी क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। उन्होंने भारत की अध्यक्षता में शुरू किए गए आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की निरंतरता का भी स्वागत किया और जी-20 सदस्यों से वित्त, प्रौद्योगिकी और कौशल जुटाने के लिए आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन के साथ सहयोग करने का आग्रह किया।

जलवायु परिवर्तन को कृषि और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े खाद्य सुरक्षा और पोषण कार्यक्रम, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना और व्यापक फसल बीमा के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने के भारत के प्रयासों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने श्री अन्न और मोटे अनाज को बढ़ावा देने में भारत के वैश्विक नेतृत्व का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जी-20 समूह द्वारा कुशल प्रवास, पर्यटन, खाद्य सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंश, डिजिटल अर्थव्यवस्था, नवाचार और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्रों में किए गए कार्यों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान लिए गए कुछ ऐतिहासिक निर्णयों को आगे बढ़ाया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के नए मानदंडों पर विचार करने का समय आ गया है, जिनमें विकास के असंतुलन और प्रकृति के अत्यधिक दोहन पर ध्यान दिया जाना चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब जी-20 शिखर सम्मेलन पहली बार अफ्रीका में आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के सभ्यतागत ज्ञान पर आधारित एकात्म मानववाद के विचार को तलाशना होगा। उन्होंने कहा कि एकात्म मानववाद मानव, समाज और प्रकृति के बारे में एक समग्र दृष्टिकोण रखता है और इस तरह विकास और विश्व के बीच समन्वय स्थापित किया जा सकता है।


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