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कृषि विज्ञान केन्द्र में उद्यानिकी फसलों के लिए जागरूकता सह क्षमता विकास कार्यक्रम का किया गया आयोजन

महासमुन्द 13 फरवरी 2020/कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुन्द एवं राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में 11 फरवरी 2020 को जागरूकता सह क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के सदस्य प्रबंध मण्डल श्रीमती वल्लरी चन्द्राकर उपस्थित थे। इनके अलावा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र महासमुन्द के अधिष्ठाता डॉ. ए.एल. राठौर, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, रायपुर के उप संचालक श्री वेकटेश्वरलु, एवं विभिन्न बैकों के प्रतिनिधि मौजूद थे। जागरूकता सह-क्षमता विकास कार्यक्रम में श्रीमती चन्द्राकर द्वारा अपने खेती-किसानी के अनुभव को साझा करते हुए खेती को लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाने की सलाह दी। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. सतीश कुमार वर्मा द्वारा इस जागरूकता कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी गई।  

डॉ. ए.एल.राठौर, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, महासमुन्द ने अपने संबोधन में खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया साथ ही कृषि महाविद्यालय, महासमुन्द से आये छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की योजनाओं की जानकारी रखने के साथ एग्री क्लिनिक के द्वारा अपना व्यवसाय स्थापित किए जा सकने की जानकारी दी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, रायपुर के उप संचालक श्री बेकटेश्वरलु द्वारा राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की योजनाओ की जानकारी देने के साथ-साथ योजनाओं से लाभ लेने की पूर्ण प्रक्रियाओ की भी विस्तृत से जानकारी दी गयी। उद्यानिकी विभाग के उद्यान विकास अधिकारी श्री आर. एस. डहरे द्वारा उद्यानिक विभाग की समस्त योजनाओं से अवगत कराया गया। बैकिंग प्रतिनिधि के रूप में पंजाब नेशनल बैंक, महासमुन्द के डॉ. किशोर, बैंक ऑफ बड़ौदा, सरायपाली के श्री देवआशीश, बैंक आफ इंडिया, महासमुन्द के श्री अब्दुल रहमान उपस्थित थे।


कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुन्द के प्रक्षेत्र पर स्थित मातृ फलोद्यान, फूल एवं सब्जियों के खेत एवं प्रक्षेत्र पर की जा रही नींबू घास की खेती का भ्रमण कराया गया। इसके उपरांत कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कृषकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपनी खेती किसानी, शासकीय योजनाओं से संबंधित शंकाओं को पूर्ण निवारण किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कृषकों की भागीदारी रही।




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