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प्रेरणादायक:-प्रियांशु वैष्णव ने नवोदय भर्ती परीक्षा में किया टॉप....पिता के सपने और कोच की मेहनत ने लाया रंग...।

एक गरीब परिवार से बिना किसी साधन के भी कोई विद्यार्थी कर सकता है टॉप

पिता गोपाल वैष्णव बने रोल मॉडल

श्री सिदार सर के मार्गदर्शन से सम्भव हुवा ये काम

प्रियांशु ने कोचिंग सर, माता-पिता को दिया श्रेय

अखिल भारतीय वैष्णव विकास परिषद के रास्ट्रीय महिला अध्यक्ष श्रीमती कमला वैष्णव एवम रास्ट्रीय महासचिव श्री लखन दास वैष्णव ने फोन के माध्यम से दी शुभकामनाएं

सफलता प्राप्त करने के लिए दृढ निश्चय अति आवश्यक है। सफल बनने के लिए सबसे पहला पड़ाव है ‘लक्ष्य’ निर्धारण। लक्ष्य निर्धारण के पश्चात उस लक्ष्य के प्रति दृढ़निश्चयी बनने की आवश्यकता होती है। अक्सर देखा जाता है, किसी व्यक्ति विशेष ने अपना ‘लक्ष्य’ तो निर्धारित कर लिया पर वह उसके प्रति दृढ़ निश्चयी नहीं। ‘लक्ष्य’निर्धारित करने के उपरांत वह उस लक्ष्य से घबराने लगता है। यह पलायनवादी प्रवृत्ति ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनती है और वह हार जाता है। यह हार ही उसकी असफलता बनती है। लगभग 95% लोगों की असफलता का कारण उनमें दृढ निश्चिय की कमी होना है। इसके विपरीत यदि वह हार न मानकर दृढ़ निश्चय के साथ उस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करे तो उसे सफलता अवश्य ही मिलेगी। उसे दृढ़ निश्चिय कर लेना चाहिए आखिर कब तक उसे असफलता मिलेगी एक न एक दिन तो ‘मैं’ इसमें सफल होकर रहूँगा। तो उस अवश्य ही सफलता मिलकर रहेगी।

प्रियांशु वैष्णव को उनके पिता ने नवोदय की तैयारी हेतु प्रेरित किया तो छोटे से बच्चे ने थान लिया कि मुझे चयन लेना है और उसने प्रतिदिन अपने स्कूली विषयो के साथ नवोदय विद्यालय हेतु तैयारी प्रांरभ कर दीं थी ।

माता पिता की कोशिश और गुरु के मार्गदर्शन से प्रियांशु ने न केवल परीक्षा पास की अपितु जिले में भी अव्वल आये।

प्रियांशु के माध्यम से सभी आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता और बच्चों को भीसीख लेनी होगी। जो ये सोचते हैं कि धन के अभाव में कुछ सम्भव नहीं हो सकता।

नवोदय विद्यालय की संक्षिप्त जानकारी

देश में ऐसे प्रतिभाशाली और ग्रामीण बच्चे जो निर्धनता या साधनों के अभाव में पढ़ नहीं सकते उन्हें नि:शुल्क स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत जवाहर नवोदय विद्यालय की कल्पना की गई है। यह विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। 

इन विद्यालयों में कक्षा 6टी से 12वीं तक शिक्षा के साथ रहने और भोजन और खेलकूद की भी नि:शुल्क व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। नवोदय विद्यालयों में 75 प्रतिशत ग्रामीण और 25 प्रतिशत शहरी बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इन विद्यालयों में चयनित प्रतिभाशाली बच्चे उच्च कोटि के शिक्षकों द्वारा उत्कृष्ट शिक्षा हासिल करते हैं।




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