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बच्चों के सीखने-सिखाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने शिक्षा अधिकारियों के साथ 31 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सीखने-सिखाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 31 जुलाई को शिक्षा अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की जाएगी। इसमें सभी संभागीय संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य, जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक और सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे।

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विभाग द्वारा 28 जुलाई को बच्चों के सीखने-सिखाने के विभिन्न वैकल्पिक उपायों को लागू करने के लिए आयोजित वेबीनार में अब तक कुल 38 हजार से अधिक शिक्षकों ने सहभागिता की है। इस वेबीनार में शिक्षकों से उनकी पसंद के स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर विभिन्न विकल्पों को चुनने का अधिकार दिया गया। शिक्षकों को बच्चों की नियमित सीखने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। वेबीनार के बाद दो दिनों में मोबाइल स्कूलों के लिए 937 प्रस्ताव, लाउडस्पीकर स्कूलों के लिए 286 आवेदन और बुलटू के बोल के लिए 126 शिक्षकों ने प्रस्ताव दिया है। विभाग द्वारा इन प्रस्तावों में वृद्धि और समुदाय से अधिक से अधिक साथियों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में 31 जुलाई को पुनः वीडियो कांफ्रेंसिंग का आयोजन किया गया है।

वीडियों कांफ्रेंसिंग में बच्चो के प्रवेश की स्थिति-पलायन कर लौटे बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया का पालन, बच्चों की शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधन-पाठ्य पुस्तक, गणवेश और मध्यान्ह भोजन, बच्चों के सीखने-सिखाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था का चयन और क्रियान्वयन की स्थिति, इसके लिए साप्ताहिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रविधियां और गतिविधियां कार्यक्रम के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग के लिए ऑनलाइन व्यवस्थाएं, अंग्रेजी माध्यम की उत्कृष्ट शालाओं के संचालन की अद्यतन स्थिति और विगत वेबीनार में आयोजित चर्चा और उसके आधार पर जारी पत्रों का अध्ययन और आंकलन जैसे मुद्दो पर चर्चा होगी।

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बच्चों को सिखाने के विभिन्न प्रकार के वैकल्पिक उपायों के संचालन के लिए निकट के हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूलों के व्याख्याताओं, डीएड और बीएड कर चुके तथा कर रहे विद्यार्थियों एवं विभिन्न गैर शासकीय संगठनों में कार्यरत मैदानी अमले को शामिल करने निर्देश हैं। राज्य में कम से कम 10 हजार ऐसे वैकल्पिक केन्द्रों को प्रारंभ किए जाने का लक्ष्य है।




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