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बसना - तहसीलदार की नियुक्ति नहीं होने से सरकारी काम-काज हो रहा प्रभावित

राजस्व संबंधी मामलों के निराकरण के लिए तहसीलदार का पद महत्वपूर्ण होता है, लेकिन महासमुंद जिले के बसना तहसील पिछले कई साल से बिना तहसीलदार के चल रहा है। सरायपाली अनुविभाग के अंतर्गत गठित तहसील बसना में लंबे अरसे से तहसीलदार की पदस्थापना नहीं हुई है। इससे एक ओर जहां तहसील का राजस्व संबंधी कामकाज प्रभावित हो रहा है वहीं दूसरी ओर आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  पूर्व पदस्थ तहसीलदार ज्योति गुलेल के स्थानांतरण के बाद से यहां पूर्णकालिक तहसीलदार की तरह नियुक्ति नहीं हो पाई है।सिर्फ सराईपाली से प्रभारी तहसीलदार के भरोसे बसना तहसील संचालित है उसपे भी कार्य की अधिकता के चलते सराईपाली तहसीलदार बसना के लिए समय निकाल नही पाते पूर्व में राजस्व विभाग ने श्री अमृत भोई की नियुक्ति बसना तहसलिदार के रूप में की थी लेकिन उन्होंने जोइनिंग देने के जगह अपनी नियुक्ति बागबाहरा करा ली

वर्तमान में नायब तहसीलदार श्री चंद्राकर जी को प्रभार सौंपा गया है चूंकि वे नायब तहसीलदार है इसलिए उन्हें राजस्व न्यायलय के मामलों में आदेश जारी करने का अधिकार नही है इसलिए राजस्व न्यायलय बसना में राजस्व मामलों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है पक्षकार पेशी में आते हैं और उन्हें सिर्फ तारीख मिलती है, दो दो तीन साल से जमीन विवाद आदि के प्रकरण पेंडिंग पड़े हुए है जिससे ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है


इसी तरह क्षेत्र के लोगों को सस्ता तथा सुलभ न्याय उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राजस्व निरीक्षण मुख्यालय भंवरपुर में वर्ष 1994 में स्थापित की गई लिंक कोर्ट भी पिछले तीन वर्षों से तहसीलदार नहीं होने के कारण बंद है, जिससे भंवरपुर राजस्व निरीक्षण मंडल के अंतर्गत आने वाले तकरीबन 97 गांवों के लोगों को राजस्व द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले सस्ता एवं सुलभ न्याय नहीं मिल पा रहा है। बसना तहसील अपने अस्तित्व में आने के पूर्व तहसील सरायपाली का हिस्सा रहा है। जहां से अलग होने पर जब तहसील बसना का गठन हुआ था। तब तहसील क्षेत्र के लोगों को सस्ता तथा सुलभ न्याय मिलने की जो उम्मीद जगी थी, स्थानीय जन प्रतिनिधियों की निष्क्रियता एवं प्रशासनिक अमले की उदासीनता के चलते अब वो उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।


तीन नायब तहसीलदार लेकिन भंवरपुर  लिंक कोर्ट बंद

बसना तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तकरीबन 226 गांवों में से दूरस्थ गांवों के लोगों को अपने तहसील संबंधी कार्यों के लिए बसना की यात्रा काफी तकलीफदेह थी। लिहाजा उनकी सुविधा का ध्यान रखते हुए राजस्व विभाग द्वारा राजस्व निरीक्षण मुख्यालय भंवरपुर में लिंक कोर्ट की स्थापना की गई थी। जहां तहसीलदार या नायब तहसीलदार हफ्ते में दो दिन बैठकर भंवरपुर लिंक कोर्ट के अंतर्गत तकरीबन 97 गांवों के राजस्व संबंधी मामलों की सुनवाई करते थे, लेकिन जब से बसना तहसीलदार का पद रिक्त हुआ है। तब से यह लिंक कोर्ट भी बंद हो गया है और 97 गांवों के ग्रामीणों को मिलने वाला सस्ता तथा सुलभ न्याय मिलन बंद हो गया है। जबकि वतर्मान में बसना तहसील में तीन तीन नायब तहसीलदार नियुक्त हैं कांग्रेस नेता लीलाकान्त पटेल ने मांग की है लिंक कोर्ट भँवरपुर को तत्काल सुचारू रूप से चालू किया जाए ताकि भंवरपुर क्षेत्र के लोगो को राहत मिले


लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय देने जल्द करें तहसीलदार की नियुक्ति

प्रशासनिक व्यवस्था में तहसीलदार का पद काफी महत्वपूर्ण होता है, ये राजस्व विभाग के अधिकारी होने के साथ ही साथ दंडाधिकारी भी होते हैं, तहसील न्यायालय में भादंवि की अनेक धाराओं की सुनवाई होती है। लिहाजा स्वाभाविक है कि तहसीलदार का पद रिक्त रहने से कानून व्यवस्था में भी कहीं ना कहीं व्यवधान पड़ता ही है। लिहाजा क्षेत्र के लोगों की सरकार तथा विभाग से अपील है कि बसना तहसील में जल्द से जल्द तहसीलदार की नियुक्ति करें। भंवरपुर का लिंक कोर्ट पुनः प्रारंभ करें। ताकि क्षेत्र की जनता को पुनः सस्ता तथा सुलभ न्याय मिल सके। कानून व्यवस्था भी तगड़ी हो सके।


बसना तहसील में तहसीलदार की नियुक्ति तत्काल होनी चाहिए ताकि वर्षो से पेंडिंग प्रकरणों का निपटारा हो- मोबिन शेख (जिला उपाध्यक्ष छजका)




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