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महासमुंद: वन चेतना केंद्र कोडार “मोर चिरैया” कार्यक्रम विद्यार्थियों को चिड़ियो की सुरक्षा और घोंसला बनाने की जानकारी दी जाएगी

महासमुंद: पक्षियों की अपनी अलग और अजीब सी दुनिया है। इनके रहने के अलग-अलग तरीके हैं। इनका घोसला एक तरह का नहीं बल्कि कई तरह का होता है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार इनके घोसलों के प्रकार दर्जन भर से ज्यादा हैं। अब इन सभी प्रकार के पक्षियों के घोसलों को बचाने के लिए वनमंडलअधिकारी पंकज राजपूत सहितपक्षी विशेषज्ञ, संरक्षक और शिक्षक कोशिशों में हुटे हुए हैं।

इसके लिए कल गुरुवार 3 मार्च को वन चेतना केंद्र कोडार महासमुंद में प्रातः 7 बजे “मोर चिरैया” कार्यक्रम का आयोजन किया गया है । कलेक्टर निलेश कुमार क्षीर सागर, पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला,मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस.आलोक,सहित स्कूली बच्चें और शिक्षक शामिल होंगे ।

इस दौरान बच्चों को विशेष रूप से विद्यार्थियों को चिड़ियो की सुरक्षा की जानकारी दी जाएगी,साथ ही चिड़ियो के लिए घोसला बनाने के बारे सिखाया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को चिड़ियों की सुरक्षा व उनकी बचाव के लिये प्रोत्साहित करना। महासमुंद क्षेत्र में पक्षियों के घोंसले बनाने की अलग-अलग विधि है। कौन पक्षी कहां और किस प्रकार से घोंसले बनाता है, एक अलग ही विधा है।

कहा जाता है कि चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है. अक्सर गर्मियों में चिड़िया घरों में घोंसला बनाती हैं। इनका घोंसला बनाना आपके लिए शुभ और सौभाग्य का संकेत ले कर आते हैं. कभी भी अपने सौभाग्य को न उजाड़ें बल्कि उनका स्वागत करें। वास्तुशास्त्र के अनुसार गौरैया के घर में घोंसला बनाने से दस तरह के वास्तुदोष दूर होते हैं।


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