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महासमुंद : जिलेवासियों के लिए टोल नि:शुल्क किये जाने को लेकर कल सरायपाली बंद, छुईपाली में चक्काजाम, मांग पूरी करने को लेकर 15 जुलाई से भूख हड़ताल पर बैठा युवक, शासन-प्रशासन मौन.

महासमुंद जिले के ढांक (झलप) और छुईपाली (बसना) में स्थित टोल प्लाजा में स्थानीय लोगों से टोल वसूली किये जाने के विरोध में कल सरायपाली के व्यापारियों ने सरायपाली बंद करने का निर्णय लिया है, साथ ही 11 जुलाई से किये जा रहे धरना प्रदर्शन की आवाज प्रशासन तक नही पहुँचने पर सुबह 10 बजे से NH-53 फोरलेन में चक्काजाम करने का निर्णय लिया गया है.

गौरतलब है कि धरना प्रदर्शन के पूर्व ही टोल नि:शुल्क की मांग को लेकर स्थानीय जिले के वासियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था, ज्ञापन सौंपने के बाद मांग पूरी नहीं होने से जिले वासियों को झलप और छुईपाली में धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है, वहीं इस मांग को लेकर जिले के संजय चौधरी सरायपाली निवासी द्वारा अन्न का त्याग कर प्रशासन से इस मांग को पूरी करने हेतु गुहार लगाया जा रहा है.

जिले वासियों द्वारा की जा रही यह मांग अब जोर पकड़ता जा रहा है, सरायपाली, बसना सहित जिले के कई संगठनो ने इस धरना प्रदर्शन का समर्थन कर मांग को जायज बताते हुए कलेक्टर से मांग पूरी करने हेतु अपने-अपने स्तर पर पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया है.

प्रदर्शनकारियों ने इस मांग को लेकर बसना विधायक, सरायपाली विधायक व सांसद महासमुंद से चर्चा की है, लेकिन धरना प्रदर्शन शुरू होने से अब तक धरना स्थल पर केवल सरायपाली विधायक ही इस मांग का समर्थन देने पहुंची थी. जबकि अन्य जनप्रतिनिधियों ने अब तक इस मांग को लेकर सार्वजनिक तौर पर मीडिया में कुछ नही कहा है. सत्ता पक्ष के विधायक और सासंद का भी अगर इस प्रदर्शन को समर्थन मिलता तो शायद अब तक यह मांग पूरी हो गई होती. लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं की इस मामले पर चुप्पी बताती है कि शायद प्रदर्शनकारियों को यह लड़ाई लम्बी लड़नी पड़ेगी.

प्रदर्शनकारियों के द्वारा किया जा रहा यह विरोध पूर्ण रूप से जायज है, शासन-प्रशासन लोगों को यह बताये कि एक ही देश में दो जिलेवासियों के लिए नियम अलग-अलग कैसे हो सकते हैं, जब महासमुंद के पड़ोसी जिले बरगढ़ और छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थानीय लोगों के लिए NH-53 फोरलेन पर टोल नि:शुल्क है तो फिर महासमुंद जिले के वासियों से जिले के अंतर्गत आने वाले टोल में क्यों शुल्क लिया जा रहा है. क्या महासमुंद जिले वासियों से शासन-प्रशासन भेदभाव रखता है.

इस मांग को लेकर कई लोगों का यह भी कहना है कि नियम के तहत 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्थानीय लोगों को टोल से गुजरने पर किसी तरह का शुल्क नहीं लिए जाने का प्रावधान है लेकिन यह सुविधा भी टोल प्लाजा में नहीं दिया जा रहा, क्या यह टोल प्लाजा भी बनाये गए नियमो का उलंघन कर सभी जिले वासियों से टोल वसूल रहा है. क्या नियम जाने बिना ही कंपनी जिले के बीच में दो टोल स्थापित कर जिले वासियों से टोल वसूलने में लगा है.  और अगर प्रदर्शनकारियों की मांग जायज नहीं है तो क्यों दुर्ग और बरगढ़ जिले में स्थानीय लोगों को नि:शुल्क टोल की सुविधा मिल रही है, उन जिलों में भी यह सुविधा बंद कर प्रशासन क्यों नहीं प्रदर्शनकारियों पर कार्यवाही कर रही है.




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