बसना : जिनके उपर लगे है दाग, अब वही करवा रहे है जांच, जांच की निष्पक्षता पर संदेह
बसना। जिला पंचायत महासमुन्द के जिम्मेदार अधिकारियो के द्वारा आरोपित पंचायत सचिव को विभागीय सरंक्षण दिये जाने के आरोप लगा है। जिस मामले में लिखित शिकायत शासन स्तर में किये जाने से कलेक्टर महासमुन्द को जांच करवा के कार्यवाही करने का आदेश हुआ है। लेकिन जिपं अपनी साख बचाने के लिए जिला अंकेक्षक पंचायत को जांचकर्ता अधिकारी नियुक्त कर दिये है। आरोप है कि इसी प्रकरण में लीपापोती करके प्रकरण को नस्तीबद्व करने के लिए नोटशीट प्रस्तुत किये वरिष्ठ अधिकारी को फौरी तौर पर भरपूर राहत मिल सके। इसलिए कनिष्ठ जनो से जांच कराया जा रहा है। यह मामला ग्राम पंचायत भोकलुडीह का है।
मालूम हो कि आरोपित पंचायत सचिव रोहित कुमार पटेल तात्कालीन सचिव ग्राम पंचायत भोकलुडीह ने आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास का भेजे मनीआर्डर से राशि लेने से इंकार किया। मनीआर्डर राशि नही पाये जाने का मिथ्या बयान छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में दिया। इसके बाद जपं पिथौरा में कराये जांच व जिपं में संस्थित विभागीय जांच में भी सचिव ने वही मिथ्या बयान दिया है। इसी मनीआर्डर राशि मामले में सच्चिदानंद आलोक सीईओ जिपं महासमुन्द ने जबाब प्रतिवेदन सूचना आयोग को भेजा है। जिसमें रोहित कुमार पटेल पंचायत सचिव को साक्ष्य के आधार पर दोषी माना है।
बता दे कि शिकायत प्रकरण में संस्थित विभागीय जांच में दिप्ती साहू उप संचालक पंचायत ने रोहित पटेल के जबाब को संतोषप्रद मानकर नस्तीबद्व करने के लिए नोटशीट चलवा दी। बल्कि एस. आलोक सीईओ के समक्ष फाइल प्रस्तुत भी की है। इस मामले की शिकायत उच्च स्तर में होने से आनन-फानन में अशोक चन्द्राकर जिला अंकेक्षक पंचायत को जिपं ने जांचकर्ता अधिकारी नियुक्त कर दिया।
शिकायतकर्ता विनोद कुमार दास को इसकी जानकारी जांच से एक दिन पूर्व 26 दिसम्बर को पंजीकृत डाक से प्राप्त पत्र से हुआ। जिससे शिकायतकर्ता ने आपत्ति लिखकर भेजा। इस पंचायत विभाग से जांच किये जाने पर निष्पक्ष व पारदर्शितापूर्ण जांच नही होने का आशंका प्रकट किया है। बता दे कि जिला अंकेक्षक के द्वारा किये जांच में अपने वरिष्ठ अधिकारी उप संचालक के विरूद्व कैसे विभागीय सरंक्षण देने संबंधित आरोप का जांच भी करेगें। सही निष्पक्ष व पारदर्शी प्रतिवेदन कैसे देंगे। यह इस जांच प्रक्रिया में ही अब सवाल उठ रहा है।