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जिला पंचायत महासमुन्द में सूचना दस्तावेज छुपाने के लिए "प्रश्नात्मक खेल" शुरू।

जिला पंचायत महासमुन्द में किये गये गडबडी सार्वजनिक ना हो। मामले पर पर्दा डला रहे। खबरो व सूर्खियां मत बन जाये। ऐसी मंशा रखकर जनसूचना अधिकारी अब शासकीय दस्तावेजो को छुपाने की जुगाड में लगे है। निलंबन से बहाली आदेश, चलाई गई नोटशीट व स्थानातरण आदेश जारी किये गये पत्रको को प्रश्नात्मक बता कर उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।

बता दे कि आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने जिला पंचायत महासमुन्द में 09 दिसम्बर को सूचना आवेदन प्रेषित किया। आवेदन पत्र में सच्चिदानंद आलोक जब से जिला पंचायत महासमुन्द में सीईओ के पद में पदस्थ हुए है। उनके द्वारा निलंबित सचिवो को बहाली आदेश पत्रक व निलंबन से बहाली के लिए चलवाई नोटशीट प्रतियां की छायाप्रति की मांग किया गया है। दूसरे आवेदन में 01 अक्टुबर 2021 से 09 दिसम्बर 2024 तक की अवधि में सीईओ जिला पंचायत महासमुन्द के द्वारा विधिसम्मत स्थानातंरण आदेश जो जारी किये गये है। उन आदेश पत्रको की सत्यप्रतिलिपी की मांग किया गया है। तीसरे आवेदन में सच्चिदानंद आलोक के कार्यकाल में जिन जिन निलंबित सचिवो को आरोप पत्र जारी नही हुआ है। उसका जानकारी मांगा गया है। चौथे सूचना आवेदन में दिप्ती साहू ने जितने भी प्रकरण में सचिवो के द्वारा गलती की पुनर्रावृत्ति नही करने का लेख किया है, उसका जानकारी मांगी गई है।

दिप्ती साहू उप संचालक पंचायत ने इन सूचना आवेदन में चाही गई वांछित जानकारी देने से इंकार कर दिया है। 02 जनवरी 2025 को प्राप्त पत्र के अनुसार इस तरह मांगा गया जानकारी को प्रश्नात्मक के रूप में जनसूचना अधिकारी ने माना है। जबकि यह प्रश्नात्मक नही है। अपने स्वविवेक से ही प्रश्नात्मक मानकर गोलमाल जबाब दिया है।

मालूम हो कि आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने दिप्ती साहू के इस जबाब पर असंतुष्ट होकर विधिसम्मत प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया है। जबकि हाईकोर्ट व राजस्थान सूचना आयोग, छत्तीसगढ़ सूचना आयोग में प्रश्नात्मक जानकारी यदि कार्यालय में उपलब्ध हो तो उसे भी जनसूचना अधिकारी को प्रदाय करने का आदेश भी बकायदा पारित किया गया है।

बहरहाल अब यह देखना है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को महत्व देकर पारदर्शितापूर्वक अपीलार्थी को कब तक सूचना दस्तावेज उपलब्ध करवाते है। हालांकि सहायक परियोजना अधिकारी ही प्रथम अपीलीय अधिकारी है। अन्दरखाने के सूत्रो में चर्चा है कि उन पर भी अदृश्य दबाब है।




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