देश में भूमिहीन किसानों की संख्या 5.31 लाख, इन योजनाओं का मिलता है लाभ
भूमिहीन किसानों की कोई विशिष्ट जनगणना/सर्वेक्षण नहीं किया गया है। इसलिए देश में भूमि-मालिकों के साथ फसल बंटवारे के आधार पर भूमिहीन किसानों और खेती की सही संख्या उपलब्ध नहीं है।
हालांकि, नवीनतम कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार देश में पूरी तरह से पट्टे पर ली गई परिचालन जोतों/भूमिहीन किसानों की संख्या 5,31,285 है।
कृषि राज्य का विषय होने के कारण राज्य सरकारें भूमिहीन किसानों सहित किसानों के कल्याण के लिए कृषि योजनाओं/कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करती हैं और भारत सरकार भी विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र/केंद्र प्रायोजित योजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से इन प्रयासों को पूरा करती है। इनमें से जो योजनाएं विशेष रूप से भूमिहीन, बटाईदार किसानों और बटाइदारों को कवर करती हैं, उनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना शामिल हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत, किसानों को 7% की रियायती ब्याज दर पर केसीसी ऋण मिलता है।
इसे सुगम बनाने के लिए, वित्तीय संस्थानों को 1.5 प्रतिशत की संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के तहत एक अग्रिम ब्याज अनुदान (आईएस) प्रदान किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, जो किसान अपना ऋण तुरंत चुकाते हैं उन्हें 3% शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) मिलता है, जिससे प्रभावी रूप से ब्याज दर घटकर 4% प्रति वर्ष हो जाती है।आईएस और पीआरआई का लाभ 3 लाख रुपये तक की ऋण सीमा के लिए उपलब्ध है ।
हालांकि, यदि अल्पकालिक ऋण संबद्ध गतिविधियों (फसल पालन के अलावा) के लिए लिया जाता है, तो ऋण राशि केवल 2 लाख रुपये तक सीमित है।
आरबीआई के 04 जुलाई, 2018 के मास्टर सर्कुलर के अनुसार, केसीसी योजना के तहत, मौखिक पट्टेदार और बटाईदार, स्वयं सहायता समूह या बटाईदार किसानों सहित किसानों के संयुक्त देयता समूह, बटाईदार अल्पावधि ऋण के लिए पात्र हैं।
इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए, बैंकों को पहले वर्ष के लिए पुनर्गठित राशि पर ब्याज छूट का घटक उपलब्ध है और ऐसे पुनर्गठित ऋण आरबीआई द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लागू होगी।
एनडीआरएफ सहायता अनुदान और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एससी-एनईसी) की उप-समिति की रिपोर्ट के आधार पर गंभीर प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को अधिकतम 5 वर्षों की अवधि के लिए पुनर्गठित फसल ऋण पर आईएस और पीआरआई भी दिया जाता है।
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।