
बिना ड्राइवर के चलाया जा सकेगा ट्रैक्टर, खेतों में करेगा काम, किसानों का काम होगा आसान
लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने खेतों के लिए नई तकनीक से चलने वाला ट्रैक्टर तैयार किया है जो बिना ड्राइवर के खेतों में काम करेगा। आपको बता दें कि इस ट्रैक्टर को नई तकनीक से जोड़ने में लगभग आठ साल की मेहनत लगी है।
इस ट्रैक्टर में जीपीएस सिस्टम के साथ-साथ प्रोग्रामिंग सेट की गई है, जो निर्धारित समय सीमा के बाद ही चलेगा और इस ट्रैक्टर को बिना ड्राइवर के चलाया जा सकेगा और खेतों में खेती की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले डॉ. असीम वर्मा ने बताया कि यह देश में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का पहला ट्रैक्टर है जो बिना ड्राइवर के खेती कर सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें प्रोग्रामिंग सेट की गई है। जो कमांड देने पर अपने आप चल जाएगा और एक सिरे से दूसरे सिरे तक समान रूप से जुताई करेगा। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को पुराने ट्रैक्टरों में भी अपनाया जा सकता है। जिसकी कुल लागत लगभग 4 लाख रुपये आएगी। उन्होंने कहा कि इससे खेतों में गैप भी कम होगा और इसमें एक डिवाइस सिस्टम लगाया गया है।
दूसरी ओर, लुधियाना के कुलपति सतबीर सिंह गोसल और अतिरिक्त ट्रैक्टर डॉ. तजिंदर सिंह रियार ने बताया कि यह देश का पहला ऐसा ट्रैक्टर है जो बिना ड्राइवर के खेतों में काम करेगा और इसमें प्रोग्रामिंग सेट की गई है। उन्होंने बताया कि जीपीएस सिस्टम के साथ-साथ इसमें क्षेत्र का भी चयन किया गया है और यह ट्रैक्टर उसी क्षेत्र में जुताई करता है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए वरदान साबित होगा और उनके समय और पैसे की भी बचत होगी। उन्होंने बताया कि किसान मेले के दौरान इस ट्रैक्टर को लोगों को समर्पित किया जाएगा और उन्हें इसके बारे में जानकारी दी जाएगी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान इस तकनीक को अपनाकर अपने खेतों में जुताई कर सकें।
यह तकनीक पंजाब से शुरू होकर पूरे भारत में फैल सकती है। PAU इसे देश के अलग-अलग कृषि मेलों और प्रदर्शनियों में किसानों को दिखाएगा ताकि वे इसके फायदे को समझ सकें। यह तकनीक विदेशों में पहले से लोकप्रिय है और भारत में इसकी मांग बढ़ने पर ट्रैक्टर निर्माता कंपनियाँ भी इसे अपनाएंगी।
AI तकनीक से लैस यह सेल्फ-ड्राइविंग ट्रैक्टर सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि भारत की स्मार्ट खेती की दिशा में पहला ठोस कदम है। इससे न सिर्फ किसानों का काम आसान होगा, बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा और खेती और भी लाभदायक बन सकती है।