
महासमुंद : झूठ से राहत, दोषी शिक्षक को मिली सजा में डीईओ ने की ‘दरियादिली’
झूठ से राहत: दोषी शिक्षक को मिली सजा में डीईओ ने की ‘दरियादिली’
जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द को दोषी शिक्षक अन्जय कश्यप ने गुमराह कर झूठी जानकारी दी और अनुशासनात्मक कार्रवाई में शिथिलता प्राप्त की। डीईओ ने संचयी प्रभाव से 02 वार्षिक वेतनवृद्वि रोका, बाद में उसे संशोधित कर 01 असंचयी प्रभाव से वेतनवृद्वि रोकने का खेल कर दिया। ये काला चिटठा सूचना का अधिकार में मिली दस्तावेज से खुला। अब प्रश्न उठता है कि क्या झूठी जानकारी देकर लाभ प्राप्त करने वाले शिक्षक के विरूद्व कठोर कार्रवाई की जाएगी और जानबूझकर गुमराह होकर नियम विरूद्व संशोधित आदेश जारी किया, उस डीईओ की भूमिका की भी जांच होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में मोहगांव स्कूल में अन्जय कश्यप पर आरोप लगे थे कि वो स्कूली बच्चो को मारता पीटता है। के.के.ठाकुर तात्कालीन बीईओ पिथौरा ने जांच किया। बच्चो का बयान दर्ज किया। आरोपित शिक्षक का बयान भी दर्ज किया। स्कूली बच्चो को मारने पीटने की शिकायत सही मिली। 28 दिसम्बर 2019 को बीईओ पिथौरा ने डीईओ महासमुन्द समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें स्पष्ट लिखा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के द्वारा शिक्षक द्वारा छात्र-छात्राओ को शारीरिक दण्ड देना अपराध की श्रेणी में आता है।
तात्कालीन डीईओ बी.एल.कुर्रे ने 23 जनवरी 2020 को अन्जय कश्यप शिक्षक एलबी को दण्डस्वरूप 02 वार्षिक वेतनवृद्वि संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश दिया। लेकिन दरियादिली दिखाते हुए उसी आदेश को 19 फरवरी 2020 को संशोधित कर दिया कि अब 01 वार्षिक वेतनवृद्वि असंचयी प्रभाव से रोकी जाये।
गौरतलब है कि अन्जय कश्यप ने 07 फरवरी का आवेदन को 14 फरवरी को डीईओ कार्यालय में प्रस्तुत किया। पत्र में लिखा कि जांच के दौरान बीईओ पिथौरा ने उसे उपस्थिति हेतु नही बुलाया था, ना जांच में पूछा तक नही है। जबकि आरटीआई में मिली दस्तावेज में ठीक विपरीत है। अन्जय कश्यप ने 03 अक्टुबर 2019 को बकायदा बीईओ पिथौरा को इस मामले में अपना लिखित बयान दिया है। जिनकी पिटाई हुई उनमें एक बच्चे को बुखार था, दूसरी बच्ची को इसनोफिलिया थी। हैरानी की बात है कि डीईओ ने इस प्रकरण की फाइल की विधिवत जांच करना जरूरी नही समक्षा, बल्कि अपने ही पूर्व आदेश को नियमों के विरूद्व संशोधित कर शिक्षक की सजा को मनमाने ढंग से कम कर दिया।