
बसना के डॉक्टर ने खोज निकाला दुर्लभ पेट की टीबी, शासकीय अस्पताल के प्रति बढ़ा विश्वास
बसना। चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए बसना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम ने 14 वर्षीय किशोरी का समय पर सही निदान कर उसकी जान बचाई। यह मामला दुर्लभ पेट के टीबी (Abdominal Tuberculosis) से जुड़ा है, जो कुल टीबी मामलों में केवल 1 से 3 प्रतिशत तक ही पाया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, चुनौरडीह निवासी एक 14 वर्षीय बालिका को लंबे समय से लगातार पेट दर्द की समस्या थी। उसे परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसना लेकर पहुंचे। शुरुआती खून की जांच और सोनोग्राफी में कोई गंभीर लक्षण सामने नहीं आए, जिससे मामला और पेचीदा हो गया।
इसी दौरान, बसना सीएचसी में पदस्थ चिकित्सक डॉ. केशव साहू ने अपने अनुभव के आधार पर पेट के टीबी का संदेह जताया। यह निदान सामान्यतः बेहद कठिन माना जाता है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामान्य आने के बावजूद डॉ. साहू ने हार नहीं मानी और मरीज को रायपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज रेफर किया।
रायपुर पहुंचने पर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने गहन जांच की और डॉ. साहू के संदेह की पुष्टि की। तत्पश्चात शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. दयानंद होता की देखरेख में बच्ची का उपचार शुरू किया गया।
बसना खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. नारायण साहू ने इस उपलब्धि पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना साबित करती है कि सरकारी अस्पतालों में न केवल अनुभवी डॉक्टर उपलब्ध हैं, बल्कि वे सही समय पर उचित निर्णय भी लेते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शासन की निःशुल्क टीबी उपचार योजना के तहत मरीज का पूरा इलाज मुफ्त किया जा रहा है।क्या है पेट का टीबी?
टीबी (Tuberculosis) आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन कुछ मामलों में यह शरीर के अन्य अंगों जैसे हड्डियां, रीढ़, मस्तिष्क और पेट तक भी फैल सकती है। पेट का टीबी आंत, पेट की झिल्ली या लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में लगातार पेट दर्द, सूजन, वजन घटना, भूख न लगना और बुखार शामिल हैं। चूंकि यह लक्षण सामान्य पेट की बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इसका निदान बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
इलाज
पेट का टीबी पूरी तरह से इलाज योग्य है। इसके लिए कई महीनों तक एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स करना पड़ता है। भारत सरकार की योजनाओं के अंतर्गत यह इलाज व जांच पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है।
बसना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम द्वारा किया गया यह सफल निदान न केवल मरीज की जान बचाने में सहायक रहा, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आम जनता का विश्वास भी और मजबूत हुआ है।