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“स्वामी हिड़मा अमर रहें”, दिल्ली में प्रदूषण विरोध में लगे विवादित नारेबाज़ी से मचा बवाल

नई दिल्ली। राजधानी में जहरीली हवा के खिलाफ चल रहा युवा आंदोलन रविवार को उस वक्त विवादों में घिर गया, जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल कुछ युवकों-युवतियों ने अचानक कुख्यात नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए। हवा को शुद्ध करने की मांग से शुरू हुआ प्रदर्शन, हिड़मा समर्थक नारों ने पल भर में राजनीतिक और सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

इंडिया गेट के पास पिछले एक हफ्ते से कई युवा समूह हाथों में तख्तियां लिए हवा प्रदूषण कम करने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग साफ है—“साफ हवा हमारा अधिकार है, प्रदूषण पर सरकार ठोस कदम उठाए।”

लेकिन आज के प्रदर्शन में माहौल अचानक बदल गया। भीड़ के बीच से नारे उठे—“स्वामी हिड़मा अमर रहें”, “कॉमरेड हिड़मा अमर रहें”, “लाल सलाम!”
वीडियो सामने आने के बाद यह मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है।
 


यह वही हिड़मा है जिस पर सुरक्षा बलों के अनगिनत जवानों की हत्या का आरोप है और जो भारत के सबसे खतरनाक व वांटेड नक्सल नेताओं में शामिल रहा। इसी 18 नवंबर को आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़ सीमा पर मारेदुमिल्ली जंगल में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ के दौरान इसे ढेर किया था। इस कार्रवाई में उसकी पत्नी माडकम राजे समेत चार नक्सली और मारे गए थे। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इसे “नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील” बताया था।

प्रदूषण पर सरकार से ऐक्शन की मांग कर रहे कई युवाओं ने इस नारेबाज़ी की कड़ी आलोचना की। उनका कहना है कि कुछ लोग जानबूझकर आंदोलन का फोकस भटकाने और हवा के मुद्दे को राजनीतिक–वैचारिक लड़ाई में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं—क्या यह सब एक सोची–समझी रणनीति थी? क्या वामपंथी समूहों ने प्रदूषण आंदोलन के बीच नक्सली एजेंडा साधने की कोशिश की?

इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। C-Hexagon रोड शाम तक बंद कर दिए जाने से इलाके में अफरा-तफरी का माहौल रहा। पिछली बार भी दिल्ली पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था।

दिल्ली की हवा का AQI लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों की हालत बिगड़ रही है। लेकिन आज के विवाद ने सवाल खड़ा कर दिया है— क्या साफ हवा की लड़ाई अब नक्सलवाद बनाम एंटी-नक्सलवाद की बहस में बदल दी जाएगी?
क्या प्रदर्शन को भटकाने के पीछे कोई छिपा एजेंडा है।


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