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कैसे मिलती है पंचायतों को रकम, यहां जानें क्या है पंचायत बजट

आपको बता दें, 73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतों को 29 कार्य सौपें गए हैं। पंचायतों को सौपें गए 29 कार्यों में से वार्षिक बजट बनाना एक मुख्य कार्य है। ग्राम पंचायत द्वारा बनाए जाने वाले वार्षिक बजट पंचायत कहते हैं।

पंचायत बजट पर विचार-विमर्श कर सिफारिश करना ग्रामसभा का कार्य निर्धारित किया गया है। ग्रामसभा में वार्षिक लेखा-जोखा, बजट एवं गत वर्ष का विभिन्न कार्यक्रमों पर किए गए व्यय पर चर्चा ग्राम सभा में करने का प्रावधान है। इस बजट के माध्यम से पंचायत के सभी कार्यों एवं प्राप्तियों का आकलन किया जाता है।

यह बजट इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है चूंकि बजट का प्रस्ताव ग्राम सभा  के माध्यम से किया जाता है। जिसमें ग्रामसभा के सदस्यों  की भागीदारी ज़रूरी होती है। ग्रामसभा के सदस्यों को वर्तमान वित्तीय वर्ष में शुरू किए जाने वाले विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लेने का पूरा अधिकार होता है।

73वें संविधान संशोधन की अनुच्छेद-243(I) के तहत राज्यपाल राज्य वित्त आयोग का गठन करता है। यह एक संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) है जिसकी नियुक्ति 5 वर्ष के लिए की जाती है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति भी राज्यपाल द्वारा 5 वर्ष के लिए की जाती है। लेकिन अध्यक्ष की उम्र 65 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा राज्य वित्त आयोग में 4-5 सदस्यों की भी नियुक्ति की जाती है।
कार्य

राज्य वित्त आयोग समय-समय पर पंचायती राज संस्थाओं  आर्थिक स्थिति की समीक्षा करती रहती है। जिससे उचित समय से राज्य की संचित निधि से विभिन्न पंचायती संस्थाओं को धन आवंटन किया जा सके। राज्य सरकार द्वारा वसूल की गई टैक्स, फीस, टोल इत्यादि का वितरण भी वित्त आयोग पंचायती राज संस्थाओं में वितरित करता है।

पंचायती राज संस्थाओं को मुख्यत: 3 तरह से धन प्राप्त होता है।
सरकार से प्राप्ति
1. वार्षिक बजट के रूप में       2. योजनाओं के रूप में          
पंचायत स्तर पर प्राप्ति
3. कर के रूप में
1. वार्षिक बजट के रूप में धनराशि
पंचायतों के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार वार्षिक बजट मुहैया कराती है।

(A) केंद्र से प्राप्त होने वाली धनराशि

ग्राम पंचायतों को विकास कार्य के लिए केंद्र सरकार केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर बजट देती है। इस बजट की धनराशि सीधे ग्राम पंचायतों के खातों में जमा होती है।

(B) राज्य से प्राप्त होने वाली धनराशि

पंचायतों के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करने के लिए संविधान अनुच्छेद 243(I) में राज्य वित्त आयोग का गठन करने की व्यवस्था की गई है। राज्य वित्त आयोग समय-समय पर पंचायती राज संस्थाओं की आर्थिक स्थिति की समीक्षा कर राज्य की संचित निधि से विभिन्न पंचायती संस्थाओं को धन आवंटन करती है।

कैसे होता है पंचायती बजट वितरण

सभी राज्यों में जिला परिषद सबसे उपरी पंचायत निकाय है। शासन की दृष्टि से जिला सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। केंद्र या राज्य सरकारों से चलकर सभी योजनाओं (Scheme) का क्रियान्वयन जिले स्तर से ही होता है। इसके बाद बजट का वितरण ब्लॉक और ग्राम पंचायतों में होता है। सामान्यतः बजट का निर्धारण पंचायती संस्थाओं में निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है।

      जिला परिषद को बजट का 5% प्रतिशत
      पंचायत समितियों को 20% प्रतिशत
      ग्राम पंचायतों को शेष 75% प्रतिशत राशि दी जाती है।

(C) सांसद और विधायक निधि से प्राप्त होने वाली धनराशि

सांसद और विधायक भी अपनी निधि से कुछ धन पंचायतों की वित्तीय सहायता के लिए प्रदान करते हैं।
(D) अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाली धनराशि

पंचायतों को अन्य स्रोतों जैसे- ग्रामीण विकास, कृषि विभाग  या अन्य विभागों से भी सहायता मिलती रहती हैं।
2. योजनाओं के रूप में

ग्राम्य विकास और जन कल्याण  से संबंधित केंद्र एवं राज्य प्रायोजित अनेक योजनाएं पंचायतों द्वारा संचालित हो रही है।

इन योजनाओं का प्रावधान केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने बजट में करती है। जैसे-

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
    राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
    स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
    राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
    केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित अन्य योजनाएं

3. पंचायत द्वारा लगाए जाने वाले कर से प्राप्ति

चूँकि पंचायतें आज भी सरकारी बजट और अनुदान पर ही निर्भर हैं इसीलिए 73वें संविधान संशोधन में पंचायतों को वित्तीय स्वायत्तता की कमी को पूरा करने के लिए स्थानीय कर (tax) के माध्यम से राजस्व (Revenue) जुटाने की शक्ति प्राप्त है। जैसे-

    सम्पत्ति कर- ग्राम सभा की जमीन व तालाबों को पट्टे पर देकर यह कर वसूली जा सकती है।
    सफाई कर- सार्वजनकि शौचालय पर यह कर लगाई जा सकती है। यदि उसकी सफाई का काम ग्राम पंचायत करेगी।
    बाजार कर- ग्राम पंचायत के अधीन लगने वाले हाट बाजारों पर यह कर लगाया जा सकता है।
    जल कर- यदि ग्राम पंचायत जल की व्यवस्था करती है, तो यह कर लगा सकती है।
    अन्य साधनों से प्राप्त होने वाले कर(टैक्स)

उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत हाट, बाजार, मेला आदि से राजस्व की उगाही कर सकते है लेकिन अभी यह प्रावधान व्यावहारिक रूप में नहीं हो रहा है। है। इस संबंध में सरकार द्वारा नियमावली नहीं बनाई गई है जिस कारण कर लगाने का अधिकार व्यावहारिक रूप धारण नहीं कर सका है।

संक्षेप में कहें तो पंचायतें अपनी वित्तीय व्यवस्था के लिए ज्यादातर सरकारी अनुदान और योजनाओं पर निर्भर हैं। जबकि पंचायती राज अधिनियम में पंचायतों को अपने क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की टैक्स वसूलने का अधिकार है। जागरूकता व राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण पंचायत प्रतिनिधि इसे वसूलने में रूचि नहीं लेते हैं। जबकि सुदृढ़ आर्थिक व्यवस्था के लिए पंचायत द्वारा लगाए जाने वाले कर को और अधिक कारगार बनाने की जरूरत है।




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