महासमुंद : किशोरी बालिकाओं को स्वास्थ्य, पोषण और बालिका शिक्षा के महत्व पर दी गई जानकारी
इस अवसर पर परियोजना अधिकारी शैल नाविक ने अपने उद्बोधन में कहा कि बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य समुदाय में बालिका जन्म के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने, राष्ट्र एवं समाज की प्रगति में महिलाओं की सहभागिता को अधिक से अधिक बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्धता तथा जेण्डर संबंधी भेदभाव के विरुद्ध सकारात्मक सोच स्थापित करना है। इस वर्ष सेव द गर्ल चाइल्ड, शिशु बाल लिंगानुपात एवं बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य एवं सुरक्षित वातावरण बनाने सहित समाज में जन जागरूकता बढ़ाये जाने के उद्देश्य से जिले के आंगनबाड़ियों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे बालिकाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए बेटियों एवं अभिभावकों (माता-पिता) को आमंत्रित किया गया। सेक्टर पर्यवेक्षक शीला प्रधान ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान अंतर्गत जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
आंगनवाड़ी केंद्रों पर माता-पिता के साथ संवाद कर बालिकाओं के सशक्तिकरण में माता-पिता की भूमिका, लैंगिक समानता पर चर्चा की गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बालिका शिक्षा के महत्व पर जागरूकता, बच्चों के लिए पोषण संबंधी जानकारी दी गई। इस अवसर पर सेक्टर पर्यवेक्षक कुंती यादव, नसीम कुरैशी, डिगेश्वरी साहू, खिलेश्वरी चक्रधारी, चित्रलेखा साहू, कुलेश्वर ध्रुव मौजूद थे।
कार्यक्रम में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ“ के संबंध में शपथ दिलाई गई। उपस्थित महिलाओं ने शपथ लेते हुए कहा कि मैं, भारत का नागरिक, आज यह शपथ लेती हूं कि मैं लिंग भेद और लिंग चयन जो कि बालिकाओं के जन्म एवं उनके अस्तित्व को जोखिम में डालता है, उस मानसिकता का त्याग करूंगी। जिससे ये सुनिश्चित हो कि लड़कियां जन्म लें, उन्हें समान प्यार व शिक्षा मिले और देश का सशक्त नागरिक बनने का समान अवसर मिले। मैं यह भी संकल्प लेती हूं कि मैं अपने देश की महिलाओं एवं पुरुषों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश का प्रचार प्रसार करूंगी।