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सरायपाली : हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया ईद.

ईद उल फितर का पावन त्योहार सराईपाली में पूरे हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुबह से ही मुस्लिम समाज के लोग नए कपड़े पहनकर अपने घरों से निकलने लगे और ईदगाह की ओर रवाना हुए। चारों तरफ एक उत्सव जैसा माहौल था। प्रातः 9 बजे हजारों की संख्या में लोगों ने ईदगाह में एकत्र होकर विशेष नमाज़ अदा की। जामा मस्जिद सराईपाली के पेश इमाम मौलाना अब्दुल सत्तार अशरफी ने तकरीर पेश की, जिसमें उन्होंने रमज़ान के पाक महीने की बरकतों, ईद उल फितर की अहमियत और इस्लाम में इंसानियत, भाईचारे और सौहार्द की शिक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ईद केवल खुशियां मनाने का नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने, गरीबों और बेसहारा लोगों तक खुशी पहुंचाने का भी त्योहार है।

इसके बाद मौलाना अब्दुल सत्तार अशरफी की अगुवाई में ईद की नमाज़ अदा की गई। नमाज़ के बाद उन्होंने मुल्क में अमन-शांति, खुशहाली और भाईचारे की दुआ मांगी। नमाज़ खत्म होते ही लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। पूरा माहौल खुशी और सौहार्द से भर उठा। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी के चेहरे पर ईद की रौनक झलक रही थी। बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया, जिन्होंने नए कपड़े पहनकर ईद की खुशियों का आनंद लिया और अपने परिवार के साथ खुशियां बांटी।

ईदगाह में नमाजियों की सुविधा के लिए मुस्लिम जमात सराईपाली के अध्यक्ष हाजी शाहिद खान एवं उनकी टीम द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। गर्मी को ध्यान में रखते हुए ईदगाह में टेंट और कूलर लगाए गए थे। साथ ही, सभी के लिए ठंडे पानी की समुचित व्यवस्था की गई थी ताकि किसी को कोई असुविधा न हो।


ईद की नमाज़ और खुतबे के बाद मुस्लिम जमात की ओर से कब्रस्तान में सफाई करने वाले सदस्यों का विशेष रूप से सम्मान किया गया। इस अवसर पर हाजी मोहम्मद युसूफ, मोहम्मद इस्लाम, सलीम शाह, मोहम्मद नासिर, शरीफ मोहम्मद, मोहम्मद जाहिद (बब्लू) और मोहम्मद सफीक का इस्तकबाल किया गया। साथ ही, रमज़ान के पूरे 30 दिनों तक मस्जिद में रोज़ेदारों की सेवा में जुटे शेख समसुद्दीन और ईमरान मेमन का भी सम्मान किया गया। कमेटी की ओर से उन्हें उपहार भेंट किए गए और उनके सेवा कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। इस दौरान कमेटी के सदस्यों ने कहा कि ये सभी लोग समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके परिश्रम से ही समाज में व्यवस्था बनी रहती है। उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

सम्मान समारोह के बाद सभी उपस्थित बच्चे, बुजुर्ग और जवान अपने-अपने मरहूमों की कब्र पर गए और फातेहा पढ़कर उनकी मगफिरत (क्षमा) के लिए दुआएं मांगी। पूरे कब्रस्तान में एक भावुक माहौल बन गया, जब लोगों ने अपने प्रियजनों को याद किया और उनके लिए ईश्वर से रहमत की दुआ की।

इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी उपस्थित होकर मुस्लिम समाज को ईद की शुभकामनाएं दीं। ईदगाह में उपस्थित सभी लोगों ने मिलकर इस पर्व को प्रेम, सौहार्द और एकता के साथ मनाने का संकल्प लिया। ईद की इस पावन घड़ी में पूरे क्षेत्र में भाईचारे और इंसानियत का संदेश फैलाया गया, जिससे समाज में एकजुटता और प्रेम का वातावरण बना रहा।





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