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सरायपाली : महिला बाल विकास विभाग की पैनी नज़र बाल विवाह में शामिल होना भी है गुनाह - दीक्षा बारीक

शादियों का सीजन शुरू हो गया है. बाल विवाह रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग सतर्क है ।
यदि किसी व्यक्ति की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में होती है तो उसे बाल विवाह माना जाता है । बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लड़कियों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित करता है बाल विवाह के कारण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर ज्यादा है ।

बाल विवाह के कारण कम उम्र की मां एवं बच्चे दोनों की स्वास्थ्य खतरे मे पड़ जाता है । बाल विवाह से जन्में नवजात शिशु का वजन कम रह जाता है, जिससे कुपोषण एवं खून की कमी की ज्यादा आशंका रहती है । बाल विवाह से शिक्षा के मूल अधिकार का भी हनन होता जो ।

30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है ग्रामीण अंचल में अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा. इसकी तैयारियां शहर और ग्रामीण अंचलों में शुरू हो गई है. साथ ही इस दिन शहर और ग्रामीण अंचलों में कई शादियां होती हैं. इस दिन बाल विवाह होने की आशंका रहती है, ऐसे में महिला बाल विकास विभाग की टीम सक्रिय है, परियोजना अधिकारी नारंग ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए महिला बाल विकास, जिला बाल संरक्षण, पुलिस, पंचायत विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की टीम बनती है, जो कार्रवाई करने पहुंचती है. वहीं बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है, जो गांवों में होने वाले बाल विवाह की जानकारी देते हैं ।
बाल विवाह पर पैनी नजर रखे हुए महिला एवं बाल विकास की पर्यवेक्षक दीक्षा बारीक कहती हैं कि हम ग्राउंड लेवल पर काम करते हैं गाँव, पंचायत स्तर आँगनबाड़ी कार्यकर्ता से जानकारी जुटाते हैं जहां कहीं भी बाल विवाह होने की खबर मिलती है वहां पहुंचते हैं और शादी रुकवाते हैं, परिवार वालों को समझाते हैं कि बच्चों के बालिग होने पर ही उनकी शादियां करें अगर कोई जबरन शादी करने की कोशिश करता है तो हम कानूनी तरीके से उससे निपटते हैं,

जान लीजिए क्या कहता है कानून

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 : -
यह अधिनियम बाल विवाह को प्रतिबंधित करता है और ऐसे विवाह को करने या उसमें सहायता करने वाले व्यक्ति के लिए दंड का प्रावधान करता है । इस कानून के तहत, बाल विवाह करने, संचालन करने, निर्देशन करने या इसमें सहायता करने पर 2 वर्ष तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है ।

कानूनी सजा :-

बाल विवाह करने या उसमें शामिल होने वाले किसी व्यक्ति को 2 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है ।

खरमास के खत्म होने के बाद शादियों का सीजन शुरू हो चुका है महिला एवं बाल विकास विभाग एक बार फिर बाल विवाह को रोकने के लिए सतर्क है इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल की तारीख तक नये शादियों को रोका गया है जिन शादियों को रोका गया है वो बाल विवाह से जुड़े रहे हैं । इन शादियों को महिला एवं बाल विकास विभाग ने समझा कर रुकवाया ।

बाल विवाह पर एक्शन

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत होता है एक्शन, शिकायत मिलने पर हमारी टीम पहुंचती है मौके पर, बाल संरक्षण आयोग भी बाल विवाह को रोकने पहुंचता है, कई और विभाग के अधिकारी भी समझाने के लिए जाते हैं ।

बाल विवाह में शामिल मेहमानों पर भी होता है एक्शन, टेंट और पुरोहित भी कानूनी कार्रवाई की जद में आते हैं । महिला एवं बाल विकास विभाग कार्रवाई करती है शादी स्थल पहुंचकर बाल विवाह पर रोक लगाती है लगातार कार्रवाई होने से अब बाल विवाह करने लोगों में दहशत है अक्षय तृतीया के दिन बाल विवाह होने की आशंका रहती है ऐसे में महिला बाल विकास विभाग अलर्ट हैं, ताकि बाल विवाह रोका जा सके हर साल बाल विवाह पर कार्रवाई होने से अब बाल विवाह की शिकायतें कम है ।



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