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महासमुंद : मां और पत्नी का संबल बना संघर्षरत युवा का सपना, डिजिटल सेवा केंद्र से दे रहा नई दिशा

जब जिंदगी हर मोड़ पर परीक्षा लेने लगे, तब एक मां का आशीर्वाद और पत्नी का साथ किसी भी इंसान को मजबूती से खड़ा कर सकता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है सोमनाथ सेन की, जिनका सपना था कंप्यूटर और डिजिटल सेवा के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने का। आज वे अपने गांव में डिजिटल सेवा केंद्र चला रहे हैं, ताकि कोई और युवा बेरोजगारी की मार न झेले।

बचपन से था कंप्यूटर का सपना

सोमनाथ बचपन से ही कंप्यूटर के प्रति आकर्षित थे। उनके पिता ने उन्हें रायपुर के RITEE  कॉलेज में B. Pharmacy  में दाखिला दिलाया, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। कुछ सालों बाद उनके पिता जी को पैर में कैंसर हो गया और सारा पैसा इलाज में लग गया। इस कठिन समय में पढ़ाई अधूरी रह गई और 2022 में नवंबर में उनके पिता का निधन हो गया।

मां ने सिलाई कर पूरे किए बेटे के सपने

इसके बाद सोमनाथ की माँ छबीला सेन ने अपने बेटे सोमनाथ और छोटे बेटे के सपनों को जिंदा रखा और सिलाई, खेती से कमाकर, उन्होंने एक बेटे के लिए कंप्यूटर और CSC  से जुड़ा काम शुरू करवाया, वहीं छोटे बेटे के लिए घर के पास सैलून खुलवाया. जिसके बाद उन्होंने अपने सभी शौक त्यागकर, परिवार के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

जीवनसंगिनी बनी संघर्ष की साथी

शादी के बाद सोमनाथ जब महासमुंद शहर आए तो उनके पास एक रुपया भी नहीं था, ऐसे समय में उनकी पत्नी आस्था सेन ने न सिर्फ साथ निभाया, बल्कि घर पर मोबाइल से ऑनलाइन काम कर राशन जुटाया और परिवार को सहारा दिया। आस्था सेन ने अपने पति के संघर्ष को समझा,  उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलीं और लोन लेकर कंप्यूटर भी दिलाया।

आज दे रहे युवाओं को रोजगार का अवसर

आज सोमनाथ सेन, अपनी मां छबीला सेन और पत्नी आस्था सेन के सहयोग से एक डिजिटल सेवा केंद्र (CSC) चला रहे हैं। उनका कहना है कि गांव के किसी भी युवक को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े। वे उन्हें डिजिटल सेवाओं में प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बना रहे हैं।

सोमनाथ सेन कहते हैं  कि अगर मेरी मां छबीला सेन और पत्नी आस्था सेन का साथ नहीं होता, तो मैं आज यहां नहीं होता। मां ने अपने सपने त्याग दिए और पत्नी ने मेरा हर कदम पर साथ दिया। आज मैं जो कुछ हूं, सिर्फ इन दोनों महान स्त्रियों की वजह से हूं


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