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विधायक और तहसीलदार विवाद, HC ने ट्रांसफर पर लगाई रोक

बिलासपुर: महिला संसदीय सचिव शकुंतला साहू के समर्थक का ट्रक पकड़ने पर जिस तहसीलदार का तबादला कर दिया गया था उस पर हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। 29 मार्च को सिंगल आदेश निकालकर बलौदा बाजार जिले के पलारी तहसीलदार नीलमणि दुबे तबादला प्रतिनियुक्ति पर चुनाव आयोग कर दिया गया था।

पलारी के तहसीलदार नीलमणि दुबे, डिप्टी कलेक्टर अंशुल वर्मा, आरआई प्रीतम चंद्राकर की टीम ने 29 मार्च को अवैध रेत उत्खनन कर ले जा रहे ट्रक को पकड़ा था। जिस पर कार्रवाई करने से नाराज विधायक शकुंतला साहू तहसील दफ्तर पहुंची थी और तहसीलदार को 24 घंटे में तबादला करवाने की धमकी दी थी। जिसके महज दो ही घंटों बाद राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने सिंगल आदेश निकाल कर तहसीलदार नीलमणि दुबे को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय रायपुर में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था।



कार्यवाही से नाराज तहसील दफ्तर के कर्मियों, पटवारियों कोटवारों व आरआई ने सामूहिक अवकाश लेकर व काम बंद करके धरना प्रदर्शन करते हुए तहसीलदार का स्थानांतरण निरस्त करने की मांग की थी। उनके इस आंदोलन को अधिवक्ता संघ का भी साथ मिला था। पर तबादले के दूसरे ही दिन तहसीलदार को रिलीव करते हुए वहां दूसरे तहसीलदार की पोस्टिंग भी कर दी गई। जिसके बाद प्रदेश भर के तहसीलदार व नायब तहसीलदार राज्यव्यापी आंदोलन पर उतर गए थे। उन्होंने कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले कसडोल विधायक शकुंतला साहू के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया था। साथ ही तहसीलदार का स्थानांतरण निरस्त नही होने की दशा में ध्यानाकर्षण हेतु 19 अप्रैल से 23 अप्रैल तक बांह में काली पट्टी लगा कर कार्य करने, 24 अप्रैल को सामूहिक अवकाश लेकर समस्त जिला मुख्यालयों में सांकेतिक हड़ताल कर जिला कलेक्टरो के माध्यम से पुनः मांग पत्र सौप कर शासन को अवगत करवाने, व फिर भी मांग पत्र पूरी नही होने पर 1 मई को श्रम दिवस से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था।

सिंगल आदेश निकाल कर प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने से नाराज नीलमणि दुबे ने तबादला आदेश को अधिवक्ता गौतम क्षेत्रपाल के माध्यम से चुनौती दी थी। जहां मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच में हुई। याचिका में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, कलेक्टर बलौदाबाजार- भाटापारा, एसडीएम बलौदाबाजार,राज्य मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, व पलारी के नए तहसीलदार सौरभ चौरसिया को भी प्रतिवादी बनाया गया था। बहस के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौतम क्षेत्रपाल ने इस बात का ग्राउंड लिया कि याचिकाकर्ता ने संसदीय सचिव व कसडोल विधायक शकुंतला साहू के खास समर्थक का ट्रक पकड़ा था। जिसे छुड़ाने के लिए संसदीय सचिव ने तहसीलदार को फोन भी किया था और ख़ुद भी संसदीय सचिव तहसील दफ्तर आई थी। साथ ही उन्होंने तहसीलदार को अवैध उत्खनन कर परिवहन कर रहे ट्रक पर कार्यवाही करने पर 24 घण्टे में तबादला करवा देने की धमकी दी थी। जिसके महज दो ही घण्टे बाद तबादला आदेश जारी कर दिया गया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि जिस कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभाग में भेजा जाता है, उसकी सहमति ली जाति है पर इस मामले में ऐसा नही किया गया। साथ ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा भी कर्मचारियों की आवश्यकता होने पर मांग पत्र भेजते हुए डेपुटेशन पर अन्य विभाग से कर्मचारी लेने पर सहमति जताई जानी थी। इसकी नियम की भी अवहेलना की गई है। राजस्व विभाग द्वारा भी अपने तहसीलदार को दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने हेतु सहमति दी जानी थी। पर इन सारे नियमों को परे रखते हुए कसडोल विधायक शकुंतला साहू के प्रभाव में आकर दो घण्टे में ही तहसीलदार का सिंगल आदेश निकाल कर तबादला कर दिया गया और 24 घण्टे में ही उन्हें रिलीव भी करते हुए नए तहसीलदार को वहां जॉइन करवा दिया गया।

अगली सुनवाई 21 अप्रैल को

मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने तबादला आदेश पर अंतरिम राहत प्रदान करते हुए अगली सुनवाई तक स्टे प्रदान कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को रखी गई है। राज्य शासन की ओर से डिप्टी एजी संदीप दुबे ने शासन का पक्ष रखा।






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