
CG: MBBS के छात्रों को करना होगा एक साल का इंटर्नशिप, जिस कॉलेज से करेंगे पढ़ाई वहीं करना होगा इंटर्नशिप.
छत्तीसगढ़ के MBBS छात्रों के लिए नया नियम लागू हो गया है. अब वो जिस कॉलेज में पढ़ाई करेंगे, वहीं उन्हें इंटर्नशिप करना होगा.
दरअसल प्रदेश के MBBS छात्रों के लिए हैल्थ साइंस विवि ने नया नियम लागू कर दिया है. लगातार विवाद के बाद नियमों में बदलाव करने का फैसला लिया है.
अब बिलासपुर, रायगढ़, जगदलपुर या दूसरे मेडिकल कॉलेजों के छात्र नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में इंटर्नशिप नहीं कर सकते. दरअसल, हैल्थ साइंस विवि का नया नियम पहले ही लागू हो गया है. MBBS छात्र जिस मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करेंगे, उन्हीं कॉलेजों से इंटर्नशिप कर सकेंगे. यही नहीं विदेश के कॉलेजों से एमबीबीएस पास छात्र भी फॉरेन मेडिकल एजुकेशन एग्जाम पास कर इंटर्नशिप कर सकेंगे. इसके लिए अभी ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है. डीएमई कार्यालय बाद में छात्रों की सूची जारी करेगा.
प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। साढ़े 4 साल MBBS की पढ़ाई के बाद एक साल की इंटर्नशिप अनिवार्य है. इंटर्नशिप वही छात्र कर सकते हैं, जो MBBS फाइनल ईयर भाग दो में पास होते हैं. पहले छात्र दूसरे कॉलेज से MBBS के बाद रायपुर या दूसरे कॉलेजों में इंटर्नशिप के लिए आवेदन करते थे. इससे विवाद की स्थिति बन जाती थी. कुछ निजी कॉलेज के छात्र भी सरकारी कॉलेजों में इंटर्न करने की फिराक में रहते थे.
मेडिकल कॉलेजों में जितनी MBBS की सीटें होंगी, उतनी ही सीटों पर इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाती है. उदाहरण के लिए नेहरू मेडिकल कॉलेज में MBBS की 230 सीटें हैं. नियमानुसार यहां इतने ही छात्र इंटर्नशिप कर सकते हैं. चूंकि रिजल्ट शत-प्रतिशत नहीं आता इसलिए उक्त कॉलेजों में विदेश से MBBS करने वालों को भी इंटर्नशिप करने की अनुमति मिल रही है. यही नहीं दूसरे राज्यों से निजी कॉलेज से पास होने वालों को भी इंटर्नशिप की अनुमति दी जाती है. ऐसे छात्रों को कॉलेज व विवि में जरूरी शुल्क जमा करना होता है. इंटर्न कर रहे छात्रों को हर माह 15 हजार 600 रुपए स्टायपेंड दिया जा रहा है. यह एक साल तक दिया जाता है.
लगातार विवाद के बाद हैल्थ साइंस विवि ने यह नियम लागू कर दिया है. कॉलेज में MBBS की जितनी सीटें होती हैं, उतनी ही सीटों पर इंटर्नशिप कराने की अनुमति होती है. यही नहीं इंटर्नशिप पूरी करने के बाद दो साल की बांड सेवा अनिवार्य है. इसके तहत संविदा में मेडिकल अफसर या जूनियर रेसीडेंट पद पर पोस्टिंग दी जा रही है. दो साल तक मानदेय भी दिया जा रहा है. बांड सेवा में नहीं जाने पर 20 से 25 लाख रुपए की पेनाल्टी का नियम है. हालांकि कई रसूखदार छात्र शहर के अस्पतालों में पोस्टिंग करवाकर नीट पीजी की तैयारी करते हैं. पिछले साल ज्यादातर छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में भी पोस्टिंग दी गई है.