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इस विधि से करें धान की खेती कम लागत में मिलेगा बंपर मुनाफा, उत्पादन भी होगा तगड़ा

धान की खेती में बढ़ती लागत एक बड़ी समस्या है। पारंपरिक रोपाई विधि में जहां पानी की खपत अधिक होती है, वहीं जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार मीथेन उत्सर्जन भी एक चुनौती है। डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) विधि से धान की सीधी बुवाई करके इन समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। 

आमतौर पर, नर्सरी में धान के पौधे तैयार करके उनकी रोपाई की जाती है। जबकि, डीएसआर विधि धान की खेती की अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती। इस विधि में, धान के बीजों को डीएसआर मशीन से सीधे खेत में बोया जाता है।

धान की रोपाई विधि से खेती करने में समय, श्रम और खर्च अधिक लगता है। वहीं, डीएसआर तकनीक से सीधी बुवाई से लागत कम हो जाती है। ठेके पर रोपाई कराएं, तो काफी मजदूरी देनी पड़ती है।

 समय पर मजदूर न मिलें, तो कई बार बुवाई में देरी भी हो जाती है। पारंपरिक तरीके से धान की रोपाई करने में करीब 5000 रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है, वहीं डीएसआर विधि से धान की खेती करें, तो गेहूं जैसी फसल की बुवाई के बराबर या उससे भी कम खर्च आता है। इससे किसान की लागत कम हो जाती है। 

गेहूं जितने खर्च में उगाएं धान

फसल 15 दिन पहले तैयार हो जाती है। 

समय व श्रम की बचत होती है। पानी की 30% तक बचत होती है।
बीमारियों का प्रकोप भी काफी हद तक घट जाता है।

सीधी बुवाई करने से धान के खेतों से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 35% तक कमी आती है।

धान की नर्सरी की लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। रोपाई व पडलिंग का खर्च बच जाता है।

पैदावार में कमी नहीं आती, मुनाफा अधिक होता है। 

पानी की 30 फीसदी बचत

25 मई से 20 जून के बीच धान की बुवाई कर दें। 10 किलो बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई की जाती है।
बुवाई करने से पहले खेत को गेहूं की तरह पलेवा और जुताई करके तैयार किया जाता है। बीज उपचार जरूर करें।

डीएसआर मशीन से बुवाई करते समय खाद भी बीजों के साथ खेत में मिल जाती है, जिससे श्रम व समय बचता है।

पेंडामेथिलीन एक से डेढ़ किलो प्रति एकड़ की दर से शाम को छिड़काव करें। 15 दिन खरपतवार नहीं पैदा होंगे। 

यदि 25-40 दिन बाद कहीं-कहीं खरपतवार दिखाई देते हैं तो नॉमिनी गोल्ड नामक रसायन का छिड़काव कर दिया जाता है।

खेत में पंक्ति से पंक्ति की दूरी को ठीक करने के लिए कोनो वीडर चलाया जाता है, जिसे एक व्यक्ति एक एकड़ खेत में आसानी से चला सकता है।

बाद में खेत की आवश्यकता के अनुसार मिट्टी जांच कराकर खाद प्रबंधन किया जाता है।

किसानों के लिए सलाह

खेत की अच्छी तैयारी करें।

गोबर खाद या जिप्सम डालकर भूमि का सुधार करें।

लेजर लेवलिंग कराएं ताकि खेत में पानी का सम वितरण हो सके।

बीज का ट्रीटमेंट करना न भूलें।

खरपतवार नियंत्रण के लिए सही समय पर रसायनों का छिड़काव करें।

सोइल टेस्ट के आधार पर खाद और सिंचाई का प्रबंधन करें।

इस विधि में डीएसआर मशीन से बुवाई करते हैं। सामान्य सीड ड्रिल मशीन लगभग `60 हजार में मिलती है। 

इसमें लगने वाले अटैचमेंट की कीमत लगभग `20 हजार है। इससे धान के अलावा, सरसों, ज्वार, मूंग जैसी दूसरी फसलों की भी बुवाई की जा सकती है।

अंत में फसल पकने के बाद उसकी कटाई कर ली जाती है। सही तरीके से प्रबंधन करने पर पैदावार पारंपरिक रोपाई से अधिक मिलती है। हालांकि अगर देखरेख में चूक हो जाए तो पैदावार में गिरावट भी आ सकती है।


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