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परंपरागत कृषि विकास योजना से लाखों किसान बन रहे सशक्त, जानें डिटेल

भारत में कृषि का स्वरूप बदल रहा है और इसमें एक बड़ी भूमिका निभा रही है परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)। यह योजना जैविक खेती को अब सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि देशभर में फैलने वाला एक आंदोलन बना रही है। PKVY ने न केवल किसानों को पर्यावरण-अनुकूल खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि उन्हें आर्थिक मदद और बाजार से जोड़ने का भी मार्ग प्रशस्त किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक करोड़ों किसानों को लाभ मिल चुका है और लाखों हेक्टेयर भूमि जैविक खेती के अंतर्गत आ चुकी है। इस योजना के तहत वर्ष 2015 से 2025 तक कुल ₹2,265.86 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है। वित्त वर्ष 2024–25 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत PKVY के लिए ₹205.46 करोड़ जारी किए गए।

फरवरी 2025 तक लगभग 15 लाख हेक्टेयर भूमि जैविक खेती के अंतर्गत आ चुकी है। इस दौरान 52,289 क्लस्टर (समूह) बनाए गए और 25.30 लाख किसानों को इसका लाभ मिला। वर्ष 2023–24 में अपनाए गए 1.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में काम जारी है, जबकि 1.98 लाख हेक्टेयर नए क्षेत्र को 2024–25 में तीन वर्ष की परिवर्तन प्रक्रिया में शामिल किया गया है। बड़े क्षेत्र प्रमाणन कार्यक्रम (Large Area Certification – LAC) के तहत 2023–24 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 50,279 हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल में 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र को जोड़ा गया।

31 दिसंबर 2024 तक, 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन व प्रोत्साहन की केंद्रीय योजना के तहत 9,268 FPOs पंजीकृत किए जा चुके थे। वहीं कार निकोबार और नैंकोरी द्वीपों के 14,491 हेक्टेयर क्षेत्र को LAC के तहत प्रमाणित जैविक घोषित किया गया। लक्षद्वीप की पूरी 2,700 हेक्टेयर कृषि भूमि अब जैविक प्रमाणित हो चुकी है। सिक्किम के 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र को LAC योजना के तहत ₹96.39 लाख की सहायता दी गई, जिससे सिक्किम दुनिया का पहला 100% जैविक राज्य बना। दिसंबर 2024 तक ‘जैविक खेती’ पोर्टल पर 6.23 लाख किसान, 19,016 स्थानीय समूह, 89 इनपुट सप्लायर और 8,676 खरीदार पंजीकृत थे।

सरकार के अनुसार, पिछले एक दशक में PKVY भारत के जैविक खेती अभियान की आधारशिला बन चुका है। इसने किसानों को पर्यावरण-अनुकूल खेती अपनाने, जैविक प्रमाणन प्राप्त करने और टिकाऊ उत्पादन को प्रोत्साहन देने वाले बाजारों से जुड़ने का अवसर दिया है। इस योजना के तहत जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को तीन वर्षों के लिए प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है।

PKVY का मूल आधार क्लस्टर मॉडल है — जहाँ किसानों को 20 हेक्टेयर के समूहों में संगठित किया जाता है ताकि वे मिलकर जैविक खेती के तरीके अपनाएं। यह तरीका न केवल समान मानक सुनिश्चित करता है बल्कि साझा संसाधनों के प्रयोग से लागत भी घटाता है।


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