
आय का जरिया नहीं होने पर विधवा बहु अपने ससुर से मांग सकती है गुजारा भत्ता, हाईकोर्ट का फैसला
हिन्दू विधवा के भरण-पोषण के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर हिंदू विधवा अपनी आय या अन्य संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो, उसके पास स्वयं की कोई संपत्ति न हो और वह अपने पति के संपत्ति से अपना गुजारा करने में असमर्थ हो तो अपने ससुर से भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
कोरबा के रहने वाले नंद किशोर लाल ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की बहु जांजगीर चांपा निवासी चंचला लाल ने बताया कि उनकी शादी अश्वनी कुमार लाल से 11 जुलाई 2008 को हुई थी। पति की मृत्यु 21 जून 2012 को हो गई।
इसके बाद ससुर ने उनको ससुराल से निकाल दिया और पति का पासबुक और एटीएम भी अपने पास रख लिया। वह अपने मायके में रहने लगी। उसने 2015 को जांजगीर चांपा के फैमिली कोर्ट में ससुर से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए परिवाद दायर किया।
यह भी बताया कि उनके ससुर के पास जैजैपुर तहसील के ग्राम हरेटीकला में 11.78 एकड़ की पैतृक संपत्ति और जैजैपुर में 3.97 एकड़ कृषि भूमि है। इसके अलावा कोरबा में तीन दुकानें व मकान है, जिसमें उसके पति का अधिकार है। उसके उसके पास जीविकोपार्जन के लिए आय का साधन नहीं है, इसलिए उन्हें 7 हजार रुपए प्रति माह भरण पोषण के लिए दिया जाए।
मामले को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने चंचला के पक्ष में फैसला देते हुए हर माह 2500 रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ ससुर ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। इसमें कहा कि उन्होंने अपने बेटे के इलाज पर बड़ी राशि खर्च की। आय का कोई साधन नहीं है, इसलिए वह भरण पोषण देने में असमर्थ है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेंच ने अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विधवा अपनी आय संपत्ति से भरण पोषण करने में असमर्थ हो, उसके पास खुद की या पति की संपत्ति से भरण पोषण प्राप्त करने में असमर्थ हो तो वह अपने ससुर से भरण पोषण का दावा कर सकती है।