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तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लगाने हेतु युवाओं व उनके माता-पिता को भी जागरूक करें - शिक्षक

सड़क सुरक्षा के द्वारा स्वयं व अन्य लोगों का जीवन सुरक्षित करे

स्कूलों, कॉलेजों में सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करें

आज के वर्तमान परिदृश्य में प्रायः देखा व सुना जाता है कि सड़क हादसों के दौरान होने वाली घटनाओं में अधिकांशतः लोगों की असामयिक मृत्यु हो रही है या वह गंभीर रूप से घायल होकर पूरे जीवनपर्यंत तक अपाहिज़ों की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे होते हैं जिसकी सेवा करते-करते परिवार वालों की आर्थिक स्थिति बद से बदहाल हो जाती है और उन्हें काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। समय पर यदि उनका इलाज ना हो तो ऐसे लोगों की असामयिक मृत्यु भी हो जाती है जिससे एक हंसता खेलता परिवार बिखर कर रह जाता हैं।

मीडिया जगत को अपनी आप बीती बताते हुए एक शिक्षक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि विगत 25 फरवरी को ऐसा ही हादसा उनके साथ स्कूल से घर जाते वक्त एकता चौक महासमुंद के पास हुआ जिसमें एक तेज रफ्तार बाइक वाला इमली भाटा की ओर से आते हुए उनके स्कूटी में सवार पूरे परिवार (दो बच्चे एवं उनकी धर्मपत्नी) को कट मारते हुए जोरदार ठोकर मारकर गिरा देता है और वहां से भाग खड़ा होता है। उक्त बाइक वाले की ठोकर से उसके वाहन में खरोचे आ गई हैं तथा शिक्षक दंपत्ति चोटिल भी हुए लेकिन एक बड़ी अनहोनी घटना के घटित होने से दंपत्ति बच गई।

शिक्षक ने मीडिया जगत के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को जागरूक करते हुए कहा कि उनका जीवन अनमोल है साथ ही वह दूसरों का भी जीवन सुरक्षित करें। परिवार का कोई भी सदस्य घर से बाहर किसी काम से निकलते हैं तो उनके निकलने के पश्चात माता-पिता, भाई-बहन एवं अन्य रिश्तेदार शाम को उनके सकुशल घर लौटने की प्रतीक्षा में होते हैं देर तक ना आने पर उनको अपने लोगों की चिंता सताने लगती हैं। कि वह कैसे व किस हाल में होंगें?  

युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप स्वयं सुरक्षित रहें तथा दूसरों को भी सुरक्षित रखें। इस सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए अपने वाहन की गति धीमी कर सुरक्षित चलाने का आग्रह उन्होंने युवा पीढ़ी से किया है साथ ही उनके माता-पिता से भी उन्होंने आग्रह किया है कि वह भी अपने बच्चों को समुचित शिक्षा-दीक्षा व ज्ञानार्जन देते हुए तेज रफ्तार वाहन चलाने पर अपने बच्चों को हमेशा रोक-टोक करें तथा उन्हें यह भी बताएं कि मनुष्य जीवन बार-बार किसी को नहीं मिलता है।

उन्होंने मीडिया के माध्यम से अपनी तथा अन्य लोगों की व्यथा प्रकट करते हुए पुलिस प्रशासन, यातायात विभाग एवं जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए कहा कि युवा पीढ़ी के द्वारा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने और उनका लाइसेंस जप्त करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले युवाओं को सड़क सुरक्षा के नियमों और वाहन चलाने के सही तरीकों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों और कॉलेजों में सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करें साथ ही युवाओं को लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने के परिणामों के बारे में बताएं, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से न केवल उनकी अपनी जान जोखिम में पड़ सकती है, बल्कि अन्य लोगों की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। यदि कोई युवा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाता है और किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाता है, तो उसे धारा 337 के तहत दंडित किया जा सकता है। यह धारा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने के लिए 6 महीने तक की सजा का प्रावधान करती है।

इसके अलावा यदि कोई युवा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाता है और पकड़ा जाता है तो उसका लाइसेंस जप्त किया जा सकता है। यह एक प्रभावी तरीका हो सकता है जिससे युवाओं को लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से रोका जा सके। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, पोस्टर, बैनर और पम्पलेट के माध्यम से जागरूकता फैलाएं। युवाओं को सड़क सुरक्षा नियमों के महत्व के बारे में बताएं, हेलमेट और सीटबेल्ट के उपयोग को बढ़ावा दें। तेज रफ्तार वाहनों के खतरों के बारे में जागरूक करें साथ ही उनके साथ स्थानीय समुदाय के सदस्यों, स्थानीय नेताओं और सामुदायिक कार्यक्रमो में तथा प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच अभियान के समर्थन में शामिल करें तथा युवाओं को सड़क हादसों के प्रति प्रेरणा और पुरस्कार में भी शामिल करें। जिनमें युवाओं को सुरक्षित ड्राइविंग के लिए पुरस्कार और प्रमाण पत्र दें तथा उनको सुरक्षित ड्राइविंग के लिए रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करें। इन कदमों को उठाकर हम तेज रफ्तार वाहनों पर प्रतिबंध लगाने हेतु युवाओं को जागरूक कर सकते हैं और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं।




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