
पोषण पखवाड़ा 2025 : महासमुंद में पौष्टिक आहार प्रदर्शनी का किया गया आयोजन
जनप्रतिनिधि हुए शामिल, पोषण के महत्व को बताया
पोषण पखवाड़ा 2025 के समापन अवसर पर आज स्थानीय संत रविदास भवन में शहरी परियोजना अंतर्गत वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधिगण, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं, सहायिका और क्षेत्र की शिशुवती माताएं और गर्भवती महिलाएं, किशोरी और स्कूली बच्चे मौजूद थे। दो सप्ताह तक चले इस अभियान के अंतिम दिवस पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों, पौष्टिक आहार प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। शिविर में इस दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरूकता का संदेश दिया गया। इस अवसर पर पोषण पर आधारित रंगोली और स्लोगन प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
कार्यक्रम में स्थानीय पार्षद गण सीता डोंडेकर, राहुल आवड़े, जय देवांगन, सूरज नायक, धनेन्द्र चंद्राकर, मुस्ताक खान, ईश्वरी भोई, ओमीन कागजी, कल्पना सूर्यवंशी, बड़े मुन्ना देवार, माखन पटेल, चंद्रशेखर बेलदार एवं नीरज चंद्राकर मौजूद थे।
कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों ने माताओं को सही पोषण और स्वस्थ्य जीवन के लिए उचित खान पान अपनाने की सलाह दी। कार्यक्रम में कुपोषण मुक्त भारत के सपनों को साकार करने की दिशा में पहल की गई। साथ ही बाल विवाह मुक्त समाज की संकल्पना को दोहराया गया। विभागीय योजनाओं से संबंधित अध्ययन सामग्री भी प्रदान किया गया।
परियोजना अधिकारी शैल नाविक एवं पर्यवेक्षक शीला प्रधान द्वारा माताओं और किशोरी बालिकाओं को सही पोषण - देश रोशन का संदेश देते हुए दैनिक जीवन में संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को अपनाने का आह्वान किया गया। पोषण पखवाड़ा में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की रोकथाम और निवारण के उपाय बताए गए।
इसके साथ ही पखवाड़े में संतुलित भोजन क्या है और उसे कैसे अपनाया जाए तथा घरेलू या स्कूल स्तर पर पोषण वाटिकाओं को प्रोत्साहित करने और मोटे अनाजों का उपयोग बढ़ाने पर जागरूक किया गया। पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं, मिड-डे मील, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना आदि के ज़रिए पोषण सुधार को बढ़ावा देने प्रेरित किया गया। पोषण पखवाड़ा का उद्देश्य संतुलित आहार, स्वस्थ जीवनशैली और पोषण संबंधी जागरूकता के प्रति प्रेरित करना है। विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों में पोषण स्तर को बेहतर बनाना है।