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ओड़िशा में मनाया जा रहा रज-पर्व, जिसमें धरती माँ को आते हैं पीरियड्स, जानिए इस अनूठे पर्व के बारें में.

ओडिशा का अनूठा रज-पर्व या राजा परबा यह पर्व पुरे ओडिशा में तीन दिन तक चलता है, इस साल 15 से 18 जून तक रज पर्ब मनाया जा रहा है. मानसून के इस त्योहार में धरती माँ की ख़ास पूजा की जाती है, और यह माना जाता है कि इस दौरान धरती मासिक धर्म यानि पीरियड्स से गुज़रती है.

राजा पर्व के चार दिनों के नाम हैं – पहले दिन को पहिली राजा कहते हैं,  दूसरे दिन को मिथुना संक्रांति कहा जाता है,  तीसरे दिन को दाहा कहा जाता है,  जबकि चौथे दिन को वसुमती स्नान कहते हैं जब धरती माँ को स्नान कराया जाता है.

ओडिशा के छोटे-छोटे गांवों में भी ये त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि पृथ्वी माँ,  भगवान विष्णु की पत्नी हैं और जब मानसून आता है तो उसे प्रतीकात्मक रूप से धरती माँ के पीरियड्स माने जाते है.

यह पर्व किसानों और फसलों से भी जुड़ा हुआ है. जैसे पीरियड्स आने का मतलब होता है कि लड़की चाहे तो नई ज़िंदगी को जन्म दे सकती है वैसे ही मान्सून का मतलब है कि धरती माँ जब चाहे अपनी फर्टिलिटी से नई फसलें उगा सकती है.

क्योंकि इस त्योहार से पहले सारी फसलें काटी जा चुकी होती हैं, इसलिए ओडिशा के लोगों के मुताबिक जैसे हर औरत को पीरियड्स में आराम की ज़रूरत होती है वैसे ही धरती माँ को भी 3 दिन आराम चाहिए होता है. इसी मान्यता के कारण यहाँ तीन दिन तक फसलों की कटाई, बुवाई और जमीन से जुड़ा हर तरह का काम रोक कर धरती माँ को सम्मान प्रदान करते हैं.

ओडिशा के इस त्योहार के ज़रिए महिलाओं के मासिक धर्म को त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस त्योहार के लिए बच्चे, बड़े, बूढ़े अपने घरों की सफ़ाई करते हैं. कई महिलाएँ व्रत भी रखती हैं और तीज के त्योहार की इस दिन बाग-बगीचों में झूले लगाए जाते हैं और गीत-संगीत के कार्यक्रम किए जाते हैं. परंपराओं के अनुसार महिलाएँ इन त्योहार के समय हल्दी और सिंदुर से नहाती हैं. इस त्योहार में मिठाइयाँ भी बनती हैं लेकिन अधिकतर पौष्टिक आहार ही बनाया जाता है.


ख़ैर मान्यताएँ और परंपराएँ अपनी-अपनी हैं लेकिन इस त्योहार के पीछे का कारण सच में अच्छा है. आज भी जब दुकान वाला आपको अख़बार में लपेट कर पैड देता है और पैड बदलने पर आप छिप-छिप कर उसे डस्टबिन में फेंकने जाती है तो ऐसे में ओडिशा का ये त्योहार हमें पीरियड्स पर खुलकर बात करना सिखाता है. ओडिशा इकलौता राज्य है जहां मासिक धर्म यानी पीरियड्स का उत्सव मनाया जाता है.

क्या है पौराणिक मान्यता ?

इस त्योहार की खासियत ये है कि इसमें महिलाओं के ही नहीं बल्कि धरती के उपजाऊ होने की खुशी भी मनाई जाती है. इसे भूदेवी यानी धरती के लिए मनाया जाता है. ओडिशा में मान्यता है कि प्रभु जगन्नाथ (विष्णु) की पत्नी भूदेवी हैं और बारिश की शुरुआत से पहले वो रजस्वला होती हैं. इस समय पृथ्वी को आराम दिया जाता है और सारे खेती-किसानी के काम बंद कर दिए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इसके बाद पृथ्वी और भी ज्यादा उपजाऊ हो जाती है.

जिस तरह से पृथ्वी उपजाऊ होती है वैसे ही महिलाओं को भी इस त्योहार में खास स्थान दिया जाता है. उन्हें 4 दिन कुछ काम नहीं करना होता. आराम करने दिया जाता है. उन्हें नए कपड़े पहन कर त्योहार में हिस्सा लेना होता है.




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