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फैडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज़ ने एए / ईओयू / एसईजेड इकाइयों से एल्युमीनियम निर्यात के लिए आरओडीटीईपी स्कीम के तत्काल विस्तार का आग्रह किया

वित्त मंत्रालय को एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा ज्ञापन सौंपे जाने के बाद उद्योग के हितधारकों ने निर्यात प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए वाणिज्य मंत्रालय से सहयोग मांगा है

भारतीय एल्युमीनियम उद्योग की एकजुट मांग को मजबूत करने वाले एक कदम के तहत फैडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज़ (फिमी) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के समक्ष एक औपचारिक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया है, जिसमें एडवांस ऑथराइज़ेशन (एए) होल्डरों, निर्यातोन्मुख इकाइयों (एक्सपोर्ट ओरियेंटेड यूनिट्स) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में स्थित एल्युमीनियम उत्पादक इकाइयों के लिए निर्यात उत्पादों पर शुल्कों या करों में छूट (रिमिशन ऑफ ड्यूटीज़ और टेक्सिस ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स-आरओडीटीईपी) योजना के तत्काल विस्तार की मांग की गई है।

गौरतलब है कि हाल ही में ऐसी ही अपील एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) ने वित्त मंत्री से भी की थी। उस अपील में एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों से भारत से होने वाले लगभग 45 प्रतिशत एल्युमीनियम निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए आरओडीटीईपी स्कीम के फायदों की अहमियत को रेखांकित किया गया था।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल को प्रस्तुत फिमी के प्रतिनिधित्व ने मंत्रालय द्वारा प्रगतिशील नीति सुधारों की सराहना की, किंतु साथ ही इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 5 फरवरी 2025 के बाद आरओडीटीईपी स्कीम कवरेज की समाप्ति भारतीय एल्युमीनियम उत्पादकों को लागत में नुकसान पहुंचा रही है।

इन इकाइयों को ऐम्बैडेड टैक्स और ड्यूटी को वहन करना पड़ रहा है, जो उनकी उत्पादन लागत का 5-10 प्रतिशत है, इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है।

इस पत्र में आगे कहा गया है कि भारतीय एल्युमीनियम उद्योग दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जसमें 20 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश और 4.1 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता है। इसमें कहा गया है कि एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों से निर्यात के लिए आरओडीटीईपी स्कीम के लाभ बहाल करने में किसी भी तरह की देरी से उत्पादन में कटौती, नौकरी छूटने और घरेलू वैल्यू ऐडिशन में बाधा आ सकती है।

इससे पहले, वाणिज्य मंत्रालय ने मार्च और सितंबर 2024 में और फिर 20 मार्च 2025 को अधिसूचनाओं के माध्यम से एल्युमीनियम इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी स्कीम की कवरेज बढ़ाई थी, जिसका लाभ केवल 5 फरवरी 2025 तक लागू था।

वैश्विक व्यापार में जारी चुनौतियों को देखते हुए, फिमी ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह निरंतरता और नीतिगत स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए इस तिथि से आगे विस्तार की अधिसूचना जारी करे। उद्योग अभी भी 6 फरवरी 2025 से लागू होने के लिए औपचारिक अधिसूचना का इंतजार कर रहा है। फिमी और एएआई दोनों ने ही एक समान चिंता जताई है, एल्युमीनियम उद्योग को उम्मीद है कि अब इसके बाद सरकार समानता बहाल करने के लिए तेजी से कार्रवाई करेगी और भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के इरादे में सहयोग करेगी।


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