पथरला हाईस्कूल में 03 साल से अटैच शिक्षक की वापसी,राजपुर प्राइमरी स्कूल में।
फुलझर सेवा समिति में मंत्री के मौखिक आदेश से ही चलता है स्कूल प्रशासन।
पिथौरा। शासन से अनुदान प्राप्त करने वाली फुलझर सेवा समिति इन दिनों अपने मंत्री की दबंगई और मनमानी के कारण चर्चाओं में है। समिति को हर वर्ष शासन से सहायता राशि प्राप्त होती है ताकि विद्यालयों का संचालन नियमों के अनुसार हो सके, लेकिन समिति मंत्री विद्याभूषण सतपथी के मौखिक आदेश ही यहाँ नियम बन गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, फुलझर प्राथमिक शाला राजपुर के शिक्षक वेदप्रकाश मनहरा की नियुक्ति अप्रैल 2022 में फुलझर सेवा समिति के माध्यम से की गई थी। नियुक्ति के एक सप्ताह बाद ही मंत्री के मौखिक आदेश पर उन्हें हाईस्कूल पथरला में अटैच कर दिया गया। शिक्षक को नवमी और दसवीं के विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिससे राजपुर प्राथमिक शाला में शिक्षकीय संकट की स्थिति बन गई और बच्चों की पढ़ाई बाधित होने लगी।
यह मामला प्रकाश में आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और शिक्षक वेदप्रकाश मनहरा को पथरला हाईस्कूल से कार्यमुक्त कर राजपुर स्कूल में वापस भेजा गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि इसकी व्यवस्था समाप्ति और कार्यमुक्ति के संबंध में कोई भी लिखित दस्तावेज जारी नहीं किया गया।
प्राचार्य गेरूलाल चौधरी ने पुष्टि की कि वेदप्रकाश मनहरा को मंत्री विद्याभूषण सतपथी के मौखिक आदेश से ही पथरला हाईस्कूल में अटैच किया गया था और उनके ही मौखिक आदेश से कार्यमुक्त किया गया। इसी तरह प्रधानपाठक भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने मंत्री के मौखिक निर्देश पर ही शिक्षक को कार्यभार ग्रहण कराया, उन्हें किसी भी प्रकार का लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ।
संकुल प्रभारी सुरेंद्र भोई और संकुल समन्वयक सोमनाथ चौहान ने भी स्वीकार किया कि इस प्रक्रिया में समिति की ओर से कोई अधिकृत दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया। शासन के दिशा-निर्देशों के विपरीत मौखिक आदेशों से स्कूलों का संचालन होना ना केवल नियमों की अवहेलना है बल्कि अनुदान की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास का कहना है कि समिति की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है और शासन को इस मामले में हस्तक्षेप कर जांच करनी चाहिए। इस मामले की लिखित शिकायत साक्ष्य सहित की जा रही है।