स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन चुकी है बसना नगर की हवा, रायपुर, भिलाई और रायगढ़ जैसे शहरों से भी खराब है स्थिति.
उपरोक्त फोटो आज सुबह करीब 7:30 को लिया गया है, 9 बजे तक यह आंकड़ा 150 के पार चला जाता है.
बसना नगर का हाल इन दिनों प्रदुषण से बेहाल हो चूका है, लेकिन इस प्रदुषण से राहत देने नगर पंचायत किसी प्रकार का कोई प्रयास करता नहीं दिख रहा है. नगर के नवनिर्माणाधीन गौरव पथ में हर तरफ सिर्फ धुल ही धुल है. सड़कों से यह धुल उड़कर लोगों के घर अन्दर जा रहे हैं. घर के अन्दर बहार लोग कहीं भी सुरक्षित नहीं है. बसना नगर की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. जनप्रतिनिधि निष्क्रिय है, अधिकारी बेपरवाह हैं, नगर की स्थिति शर्मनाक है.
बसना नगर का वातावरण रायपुर और भिलाई जैसे शहरों से भी ख़राब है, सड़कों पर धुल की चादर जम चुकी है. वातावरण को पहले स्वच्छ करने की बजाय नगर पंचायत होर्डिंग के लिए खम्बे लगा रहा है, मानो लोगों के स्वास्थ्य से पहले पैसा ज्यादा जरुरी हो गया है. वैसे तो आज कल नगर पंचायत के कर्मचारी कॉपी पेन पकड़कर हर तरफ टैक्स वसूलते दिखाई देते हैं, लेकिन इस टैक्स के बदले नगर पंचायत बसना नगरवासियों को स्वच्छ वातावरण देने में असफल है.
बसना नगर के वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो, बसना जैसे छोटे से नगर पंचायत में भी यह 150 से ऊपर जा रहा है जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है. और यह रायपुर, भिलाई और रायगढ़ जैसे शहरों से ख़राब है, जबकि इन शहरों में अधौगिक कारखाने व फैक्ट्रियां भी संचालित होती है. इस सूचकांक में पीएम 2.5 का स्तर करीब 60 तक चला जाता है. पीएम 2.5 को वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक रूप माना जाता है क्योंकि यह हवा में लंबे समय तक निलंबित रह सकता है और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है.
पीएम 2.5 का स्तर 60 का मतलब है मौजूद हवा में सूक्ष्म कण 60 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) है. यह स्तर वायु गुणवत्ता के लिए जोखिम भरा और हानिकारक माना जाता है. यह जो आंकड़े हैं यह प्ले स्टोर पर उपलब्ध एप्प AirVisual डाउनलोड कर देखा जा सकता है, जो सेटेलाईट के माध्यम से वायु गुणवत्ता की जाँच कर उसके आंकड़े दिखता है.
यदि बसना नगर की वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताई जा रही है तो इसकी केवल एक ही वजह है, नवनिर्मित गौरव पथ, क्योकि इस सड़क से धुल के साथ सीमेंट भी उखड़कर उड़ने लगी है. जिसका अहसाह बसना नगर में प्रवेश करते ही हो जाता है.
सड़क पर लगातार धुल होने की वजह से जब तेज रफ्तार में गाडी गुजरती है तो धुल बहोत तेजी से उड़ने लगती है, और ठंड का मौसम होने की वजह से यह धुल के कण यही निचले वायुमंडल में बने रहते हैं. इस धुल की वजह और सड़क पर पेड़ काट दिए जाने की वजह से हवा में नमी भी दिखाई नहीं देती, ठंड के मौसम में शुष्क हवा स्वास्थ्य के लिए अत्यनत हानिकारक प्रतीत होती है. नगर का वायु सबसे अधिक प्रदूषित सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक रहता है, इसके बाद शाम होते ही 5 से रात 11 बजे तक आप प्रदुषण भरी हवा को एहसास कर सकते हैं.
यह धुल के कण इतने छोटे आकार के होते हैं जो आसानी से देखे नहीं जा सकते हैं, ये आसानी से रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके स्वास्थ्य प्रभावों में हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हैं, सर्दी, खासी नाक का बंद होना आम बात है.
अक्टूबर से फरवरी तक का समय जब कोहरे गिरते हैं, इस समय वायु प्रदुषण का खतरा अधिक बना रहता है, इन चार महीनों के लिए भी नगर पंचायत बसना स्वच्छ वातावरण हेतु किसी तरह का कोई प्रयास करता नजर नहीं आ रहा है.
विपक्ष और अन्य जनप्रतिनिधि पूरी तरह से सोये हुए है, कुछ समय पूर्व वार्ड क्रमांक 01 के पार्षद मनोज गहरेवाल ने धुल की समस्या को लेकर आवाज उठाई थी, वह भी अब नदारद नजर आते हैं. जन प्रतिनिधि जो गलियों में घुसकर काम करने का दावा करते हैं वह शहीद वीर नारायण सिंह चौक के पास सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे अथवा शाम को 5 से 7 की बीच खुली हवा में रहकर दिखाएँ. और यदि नगर पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो नगर की भलाई के लिए उन्हें स्वत: ही अपने कार्यभार का त्याग कर देना चाहिए. क्योकि नगर में लोगों के खुले हवा में जीने की आजादी छीन चुकी है.