छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्रियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य दोनों राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति की समीक्षा करना और प्रमुख राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन में तेजी लाना था। बैठक में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने, रोगी संतुष्टि बढ़ाने, नियामक निगरानी मजबूत करने और क्षयरोग (टीबी) उन्मूलन के राष्ट्रीय लक्ष्य को आगे बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया।
बैठक के दौरान नड्डा ने सशक्त औषधि नियमन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्माण से लेकर वितरण तक पूरी आपूर्ति श्रृंखला की सतत निगरानी आवश्यक है। उन्होंने नियामक व्यवस्था में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने पर बल देते हुए कहा कि रोगी संतुष्टि में सुधार, नियामक निगरानी और अनुपालन को एक निरंतर मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
निःशुल्क दवाइयों और निःशुल्क जांच योजनाओं की समीक्षा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों राज्यों को आपूर्ति-श्रृंखला को और मजबूत करने तथा निगरानी में मौजूद कमियों को दूर करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि दवाओं और जांच सेवाओं की खरीद प्रक्रिया में लॉजिस्टिक्स, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय आईआईएम अहमदाबाद के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
नड्डा ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण जांच और समय पर परीक्षण प्रभावी स्वास्थ्य सेवा की आधारशिला हैं और इन्हें प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक सभी स्तरों पर मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां डॉक्टरों की भूमिका नैदानिक देखभाल में केंद्रीय है, वहीं अस्पताल प्रशासन और नियामक अनुपालन के लिए पेशेवर प्रबंधन की आवश्यकता है। बैठक में रक्त बैंकों, अस्पताल प्रणालियों और सुरक्षा प्रोटोकॉल के सख्त नियमन पर विशेष जोर दिया गया।
प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टेलीमेडिसिन दूरदराज़ और वंचित क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने दोनों राज्यों से आग्रह किया कि नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में टेलीमेडिसिन को और अधिक एकीकृत किया जाए, ताकि विशेषज्ञ परामर्श की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
टीबी उन्मूलन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए नड्डा ने जिला-विशेष रणनीतियों के तहत सघन स्क्रीनिंग, बेहतर जांच, उपचार के पालन और पोषण सहायता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन को मिशन मोड में लागू किया जाना चाहिए, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर पर सख्त निगरानी व्यवस्था हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने विधायकों के लिए संवेदनशीलता कार्यशालाओं का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि एमएलए को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ नियमित समीक्षा बैठकों में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जन भागीदारी स्वास्थ्य परिणामों में सुधार, जवाबदेही सुनिश्चित करने और सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जनविश्वास बढ़ाने की कुंजी है।
बैठक में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आश्वासन दिया कि दोनों राज्य केंद्र सरकार के साथ मिलकर स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और बेहतर परिणाम सुनिश्चित करेंगे।
नड्डा ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, पीपीपी मॉडल, चिकित्सा शिक्षा के विस्तार, वायबिलिटी गैप फंडिंग और अवसंरचना सहयोग के माध्यम से केंद्र सरकार के पूर्ण समर्थन को दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए केंद्र सरकार आवश्यक तकनीकी प्रशिक्षण और हैंडहोल्डिंग उपलब्ध कराएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों को मिशन मोड में आगे बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ भी इसी प्रकार की समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएंगी।
बैठक का समापन औषधि नियमन को सुदृढ़ करने, जांच सेवाओं में सुधार, अस्पताल प्रशासन के पेशेवरकरण, चिकित्सा शिक्षा क्षमता के विस्तार और टीबी-मुक्त भारत के लक्ष्य को तेजी से हासिल करने के साझा संकल्प के साथ हुआ। यह बैठक सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहकारी संघवाद की भावना को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।